रायपुर (मोहम्मद निजाम). राजधानी से 23 किमी दूर कूंरा (धरसींवा) गांव स्थित फार्च्यून मेटालिका स्टील फैक्ट्री में कबूतरबाजी का बड़ा रैकेट चल रहा है। फैक्ट्री में काम करने वाले 200 से अधिक मजदूर टूरिस्ट वीजा पर दक्षिण अफ्रीका भेजे गए, जो अब वहां कोयला खानों में फंस गए हैं। फैक्ट्री मालिकों की अफ्रीका में कोयला खानें हैं। मजदूर अब वहीं कैद हो गए हैं। क्योंकि सभी मजदूरों को टूरिस्ट वीजा के अाधार पर भेजा गया इसलिए विदेश मंत्रालय के इमीग्रेशन विभाग में किसी का रिकाॅर्ड नहीं है।
तीन साल पहले एक मजदूर किसी तरह से वहां से भाग आया और उसने विदेश मंत्रालय में गोरखधंधे की शिकायत की। जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने कई बार चिट्ठी भेजकर पुलिस से रिपाेर्ट मांगी, लेकिन अफसरों ने नोटिस जारी कर खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं किया। विदेश मंत्रालय की पहली चिट्ठी तीन साल पूर्व आई थी। अभी 3 माह पहले फिर रिमाइंडर भेज ये भी पूछा गया- मानव तस्करी के इस मामले में अब तक क्या किया गया, रिपोर्ट दें। पर पुलिस ने इस बार भी नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी।
तीन साल पहले एक मजदूर भाग आया, तब खुला मामला
उत्तराखंड के एक मजदूर को भी फार्च्यून मेटालिक फैक्ट्री से साउथ अफ्रीका भेजा गया था। मजदूर को वहां काम पसंद नहीं आया। सुविधाएं भी वैसी नहीं दी जा रही थी, जैसी बताई गई थीं। उसने वहां के पुराने वर्कर्स को किसी तरह विश्वास में लिया और उनकी मदद से भारत लौट आया। फिर उसने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर बताया कि यहां से चोरी- छिपे मजदूर ले जाए जा रहे हैं। वहां खदान इलाके में कैद कर उनसे काम कराया जा रहा है। उसी की चिट्ठी के आधार पर यहां पत्र भेजा गया।
ये लिखा है विदेश मंत्रालय के पत्र में
शिकायत मिली है मजदूरों को सुविधाओं का लालच देकर द. अफ्रीका भेजा जा रहा है। पर वहां न उन्हें सुविधा मिलती है न तनख्वाह। भागकर आए मजदूर ने फार्च्यून मेटालिक का नाम लिया है, उस नाम से इमीग्रेशन विभाग में किसी कंपनी का रजिस्ट्रेशन नहीं है। पुलिस जांच करे, कंपनी कैसे मजदूर भेज रही है।
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