भोपाल. प्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा है कि बाढ़ पर सियासत करने वाले मूर्ख हैं, राज्य सरकार केंद्र से संविधान के तहत राहत राशि मांग रही है। इसमें सियासत नहीं होनी चाहिए। वित्तमंत्री भनोट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के बयान का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार को किसानों को मुआवजा दे देंगे।
भनोट ने कहा कि राज्य में बारिश और बाढ़ से प्रभावित लोगों और किसानों को मुआवजे की राहत राशि संविधान के तहत मांग रहे हैं। केंद्र में इनके दादा जी और पिता जी की सरकार नहीं है। जनता की चुनी हुई सरकार है। संविधान के अनुसार मदद मांग रहे हैं। इसमें सियासत नहीं होनी चाहिए।
इधर, दिल्ली के दो दिनी दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और राज्य के लिए 7154.28 राहत राशि की मांग करेंगे। वहीं भोपाल मध्य के विधायक आरिफ मसूद के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन चल रहा है। ये प्रदर्शन मप्र को केंद्र से राहत राशि जल्द से जल्द जारी कराने के लिए हो रहा है।
राज्य ने बाढ़ प्रभावितों के लिए मांगे 7154.28 करोड़
राज्य सरकार ने प्रदेश में अति-वर्षा और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार से 7154.28 करोड़ रुपये की सहायता राशि शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया है। इस राशि में एनडीआरएफ मद से 6621.28 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता राशि और एसडीआरएफ से इस साल की दूसरी किश्त की राशि 533 करोड़ रुपये शामिल है।
362 करोड़ रुपए मुआवजा बांटा जा चुका
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने इस संबंध में केंद्र को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि प्रदेश के लिए आपदा प्रबंधन के तहत 2019-20 के लिए 1066 करोड़ स्वीकृत हैं। इसमें से सितंबर मध्य तक 362 करोड़ रूपये की राशि अन्य प्राकृतिक आपदाओं, ओला-पाला तथा राहत वितरण में खर्च की गयी है।
16 हजार करोड़ की फसल खराब हुई
राजस्व विभाग के अनुसार, प्रदेश के 52 में से 39 जिलों में अतिवृष्टि और बाढ़ से बहुत अधिक क्षति हुई है। राज्य में जून से सितंबर माह के बीच हुई बारिश और बिजली गिरने से 674 लोगों की मृत्यु हुई, 18 लोग शारीरिक अपंगता के शिकार हुए तथा तीन लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। लगभग 60 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र की 16 हजार 270 करोड़ रूपये की फसल प्रभावित हुई है। प्रदेश में क्षतिग्रस्त मकानों में 55 हजार 372 पक्का-कच्चे मकान, 4 हजार 98 पक्के मकान तथा 55 हजार 267 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कच्चे मकान शामिल हैं।
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