Tuesday, 10th June 2025

सुप्रीम कोर्ट / अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने की वैधता पर 14 नवंबर को सुनवाई, केंद्र से 4 हफ्ते में जवाब मांगा

Tue, Oct 1, 2019 7:26 PM

 

  • सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाने के खिलाफ 20 से ज्यादा याचिकाएं लगी हैं
  • याचिकाओं में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने की वैधता, पत्रकारों और घाटी में लगे प्रतिबंधों को चुनौती दी गई है
  • केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने का फैसला किया था

 

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य के हालात को लेकर दायर 20 से ज्यादा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए समय मांगा। उनके अनुरोध को मानते हुए कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। याचिकाओं में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने की वैधता, पत्रकारों और घाटी में लगे प्रतिबंधों को चुनौती दी गई है।

कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से हलफनामा दिए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं को भी जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ता दिया गया है। इसी के साथ कोर्ट ने अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर रोक लगा दी।

संविधान पीठ के पास है मामला

इससे पहले सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 20 से ज्यादा याचिकाएं संविधान पीठ को सौंपी थीं। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस आर सुभाष रेड्‌डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं में कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन, समीर कौल, सीताराम येचुरी, बाल अधिकार संरक्षण कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा शामिल हैं। उधर, कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग की याचिका खारिज कर दी।
 
याचिकाओं में संचार सेवा, बाल अधिकार जैसे मुद्दे भी

 

  • कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन की याचिका में इंटरनेट और फोन सेवाएं ठप होने और लोगों पर प्रतिबंध लगाए जाने का मुद्दा उठाया गया है। 
  • नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अकबर लोन, हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस हसनैन मसूदी, पूर्व आईएएस शाह फैजल, सामाजिक कार्यकर्ता शेहला रशीद, वकील एमएल शर्मा सहित 15 लोगों ने अनुच्छेद-370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। 
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की पहली अध्यक्ष प्रोफेसर शांता सिन्हा, सामाजिक कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली ने बच्चों की हिरासत का मुद्दा उठाया है। 
  • माकपा नेता सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी के एक नेता को बंधक बनाया गया है। उन्हें मुक्त किया जाना चाहिए। 
  • कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर में लोगों पर लगी पाबंदियों और वहां पर जाने की अनुमति को लेकर याचिका दायर की थी।

फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज 
एमडीएमके नेता वाइको द्वारा जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इसमें फारूक को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लेने को चुनौती नहीं दी गई है। वाइको के वकील ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आचरण पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई से कुछ मिनट पहले फारूक को जनसुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिया गया। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर जनसुरक्षा कानून के तहत अब्दुल्ला के खिलाफ हिरासत के आदेश को सक्षम प्राधिकरण के समक्ष चुनौती दे सकते हैं। दरअसल, वाइको ने अब्दुल्ला को एक समारोह में भाग लेने के लिए हिरासत से रिहा करने की मांग की थी।

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