धमतरी. छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में गोबर गैस से चूल्हे जल रहे हैं। कभी मवेशियों का गोबर जो कचरे या ज्यादा से ज्यादा खेतों की खाद के तौर पर ही देखा जाता था। अब जिले के गांवों में यह ईंधन की जगह ले रहा है। सरकारी मदद से गांवों में गैस प्लांट बनाए गए हैं, इससे घरों में एलपीजी की जगह अब बायोगैस से खाना पक रहा है। गढ़डोंगरी नाम के इस गांव में 20 घरों में ऐसे ही प्लांट लगाए गए हैं। अन्य में यह सुविधा देने का काम जारी है।
ग्रामीण हरेश यादव, महेंद्र नेताम, रामदयाल यादव, रामलाल यादव, कोमल सिंह, ननकूराम नेताम, उदयराम मरकाम ने बताया कि उनके घरों में गोबर गैस प्लांट लगा है। गांव के 20 घरों में गोबर गैस से सुबह शाम भोजन पक रहा है। कभी गोबर घर में खत्म हो जाए तो आसपास के लोग गोबर देकर सहयोग करते हैं। इससे प्लांट बंद करने जैसी कोई नौबत नहीं आती। घर में केंद्र सरकार की योजना के तहत उज्जवला गैस कनेक्शन भी है, लेकिन ज्यादातर गोबर गैस से ही खाना पकाते हैं।
उज्जवला गैस कनेक्शन कुछ लोगों को ही मिला था, लेकिन गैस रिफलिंग में 670 या इससे ज्यादा रुपए ही लगते हैं। अब गोबर गैस से जंगल में लकड़ी की कटाई करीब-करीब खत्म हो गई। घर के मवेशियों के गोबर से ही भोजन पक जाता है। साथ ही खाद भी मिल जाती है। आलम ये है कि इस तरह के फायदे देखकर गांव के अन्य लोगों ने भी मवेशी रखना शुरु कर दिया है। सोमवार को कलेक्टर रजत बंसल ने कासावाही गांव का दौरा किया यहां भी ऐसे ही गैस प्लांट से ग्रामीण ईंधन हासिल कर रहे हैं।
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