Thursday, 22nd May 2025

दुर्गोत्सव / दतिया का पीताम्बरा पीठ: जहां दिन में तीन बार रूप बदलती हैं देवी

Sun, Sep 29, 2019 5:24 PM

दतिया। शारदीय नवरात्र आज से शुरू हो गए हैं। हमारे देश में ऐसे कई सारे धाम और मंदिर इत्यादि प्रसिद्ध हैं। लोगों के बीच इन मंदिर की इतनी मान्यता होने का कारण है उन धामों और मंदिरों का इच्छापूर्ति होना। लोगों में ऐसा विश्वास है कि उस धाम या मंदिर के दर्शन मात्र से ही उनकी बड़ी से बड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी। ऐसा ही एक सुप्रसिद्ध पीठ है दतिया में स्थित पीताम्बरा देवी का पीठ। जहां का एक और आकर्षण है कि पीताम्बरा देवी एक दिन में तीन बार रूप बदलती है!

 

पीताम्बरा पीठ से जुड़ी कई सारी अलग-अलग मान्यताएं लोगों में प्रसिद्ध हैं। यदि लोगों की मानें तो इसके विषय में ऐसी भी मान्यता है कि यहां कराए गए हवन से लोगों को अपने मुकदमों में विजय मिलकर ही रहती है। इस पीठ की प्रतिष्ठा इतनी अधिक है कि ऐसा आज तक किसी ने देखा ही नहीं कि यहां कराया गया यज्ञ किसी भी हालत में निष्फल गया हो।

पीताम्बर पीठ पर राजनेताओं का तांता : देवी पीताम्बरा शत्रुओं का नाश करने वाली देवी हैं। राजसत्ता की चाह रखने वाले लोगों की भीड़ यहां पर सदैव ही देखी जा सकती है। अपने कष्टों का नाश करने के लिए भक्त यहां पर गुप्त रूप से पूजा अर्चना और यज्ञ करवाते हैं। समय-समय परे यहां बड़े नेता और अभिनेता भी आते रहते हैं। 

विपदाओं से मिलती है मुक्ति: ऐसा माना जाता है कि देवी की महिमा से हमारे देश को बड़ी बड़ी विपदाओं और संकटों से मुक्ति मिली है। जब भी हमारे देश के लिए ऐसी संकट की परिस्थिति बनी है, तब तब लोगों ने उस समय विपदा का नाश करने के लिए गुप्त रूप से यज्ञ करवाया है। ऐसा भी कहा जाता है कि 1962 में हुए भारत और चीन के युद्ध के दौरान नेहरू जी ने गुप्त रूप से यहाँ यज्ञ करवाया था।

पीताम्बरा देवी: दिन में तीन रूप बदलने वाली देवी : यहाँ माँ पीताम्बरा से जुड़ी एक और बात बहुत ही प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि पीताम्बरा देवी एक दिन में तीन बार अपना रुप बदलती हैं। यही एक और मुख्य कारण है जिससे पीताम्बरा देवी की महिमा और भी अधिक बढ़ जाती है।


श्मशान भूमि पर बना है मंदिर:  इस पीठ की सिद्धि इसके स्थापक स्वामी जी महाराज की वजह से ही है। पहले यह भूमि एक शमशान हुआ करती थी, जिस पर देवी के मंदिर की स्थापना वर्ष 1935 में स्वामी जी महाराज ने ही करवाई थी। स्वामी जी महाराज के विषय में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने बचपन से ही सन्यास ग्रहण कर लिया था। यह पीठ स्वामी जी महाराज के कठोर तप और जप के कारण ही एक सिद्ध और चमत्कारी पीठ कहलाता है।

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