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केबीसी / 'कर्मवीर' एपिसोड में पहुंचीं 'पानी माता' अमला रुइया, 6 लाख लोगों के जीवन में ला चुकीं खुशहाली

Thu, Sep 26, 2019 5:18 PM

टीवी डेस्क. 'कौन बनेगा करोड़पति ' (केबीसी 11) के इस सप्ताह के कर्मवीर एपिसोड में पानी माता के नाम मशहूर अमला रुइया नजर आएंगी। शो का प्रोमो यू-ट्यूब पर रिलीज हो चुका है, जिसमें रुइया हॉट सीट पर नजर आ रही हैं। वे समाजसेविका हैं। उनके प्रयासों की बदौलत 518 सूखाग्रस्त गांवों के करीब 6 लाख लोगों के जीवन में खुशहाली आई है। वे अपने चैरिटेबल ट्रस्ट की मदद से इन गांवों में 368 चैक डेम्स बनवा चुकी हैं, जो वहां के नलकूपों और हैंडपंपों को रिचार्ज करते हैं। 
 

संकल्प से की गांवों की काया पलट

  1.  

    'केबीसी' में रुइया ने बताया कि राजस्थान के मारवाड़ इलाके के एक जिले में एक साल (1999- 2000) बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई। वहां के गांवों के लोगों को पीने और खेती के पानी की किल्लत होने लगी। ऐसे में उन्होंने संकल्प लिया कि वे किसी भी तरह वहां पानी पहुंचाकर रहेंगी। उनका संकल्प रंग लाया और आज वहां लोग खुशहाल जीवन जी रहे हैं। रुइया ने एक इंटरव्यू में बताया था, "मैंने देखा कि सरकार पानी के टैंक उन सूखाग्रस्त गांवों में भेज रही थी। लेकिन मुझे लगा कि यह समस्या का पुख्ता समाधान नहीं है। कोई ऐसा उपाय होना चाहिए, जो कि किसानों को लंबे वक्त तक फायदा दे।"

     

  2.  

    अमला ने अपने विचार को एक्शन में बदलने के लिए आकार चैरिटेबल ट्रस्ट (ACT) बनाया और राजस्थान में पानी की समस्या पर रिसर्च करनी शुरू की। इसके बाद वाटर हार्वेस्टिंग टेक्नोलॉजी से वे वहां पीने और खेती के पानी की समस्या से निजात दिलाने में सफल हुईं। 

     

  3. मंडावर में बना था पहला चैक डेम

     

    मंडावर में रुइआ का पहला प्रोजेक्ट सफल रहा। वहां के किसान ट्रस्ट द्वारा बनवाए गए दो चैक डेम्स की मदद से एक साल में 12 करोड़ रुपए तक की कमाई करने लगे। इसके बाद न तो किसानों ने पलटकर देखा और न ही रुइया अपने काम को आगे बढ़ाने से रुकीं। 

     

  4. किसानों का बड़ा सहयोग

     

    रुइया ने एक बार कहा था, "हमें पता था कि हमारे प्रोजेक्ट्स तभी सफल होंगे, जब किसानों का सहयोग मिलेगा। हमने हर कदम पर किसानों को शामिल किया। फिर चाहे वह कास्ट शेयरिंग हो या फिर डेम निर्माण और मेंटेनेंस काम। ऐसा करने से उनमें स्वामित्व की भावना आती है।"चैक डेम्स बनवाने का करीब 40 फीसदी खर्च किसान वहन करते हैं और बाकी का खर्च रुइया का ट्रस्ट उठाता है। 

     

  5.  

    रुइया और उनकी टीम अपने प्रयासों को राजस्थान के साथ मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओड़िसा और छत्तीसगढ़ के कई गांवों तक पहुंचा चुकी है। उनके प्लान में बिहार, हरियाणा, उत्तरांचल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

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