भाेपाल . जहांगीराबाद शासकीय स्कूल अाैर कमला नेहरू स्कूल से वर्ष 1995 में प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत हुईं आशा श्रीवास्तव का 22 सितंबर काे निधन हो गया था। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग से 1991 में सेवानिवृत हुए पति अारके श्रीवास्तव, बहू-बेटा अाैर बेटियाें ने उनकी देहदान करने का निर्णय लिया।
परिजनाें ने बुधवार काे सुबह 10.30 बजे उनकी देह अखिल भारतीय अायुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को साैंप दी। स्व. अाशा स्काउड एंड गाइड की कमिश्नर भी रहीं। उन्हाेंने विभिन्न पदाें पर रहते हुए लाेगाें काे देहदान सहित बेटी बचाअाे, बेटी पढ़ाअाे, भ्रूण हत्या न करने के लिए समाज काे जागरूक किया। उनकी अंतिम यात्रा ई-4 अरेरा काॅलाेनी से एम्स तक निकाली गई। इस अवसर पर लायंस क्लब के साथी, परिजनाें, रिश्तेदाराें ने श्रद्धाजंली देने के बाद देह प्रबंधन काे साैंप दी।
उन्हें पिता का देहदान नहीं कर पाने का अफसोस था : उन्होंने कहा था- मेरे बाद मेरी देह मेडिकल स्टूडेंट की पढ़ाई के लिए दान कर देना। आशा ने जीवनभर भावी पीढ़ी काे समाजसेवा का पाठ पढ़ाया। उसकाे अाचरण में उतारते हुए, आशा ने मेडिकल स्टूडेंट की पढ़ाई के लिए अपनी देहदान करने की इच्छा जताई थी। अाशा के पिता ने भी 1995 में देहदान करने की इच्छा जताई थी, उस समय देहदान इतना काॅमन नहीं था, जिसकी वजह से उनकी इच्छा पूरी नहीं हाे पाई थी। इस बात का उन्हें काफी अफसाेस था। इसके बाद अाशा के भाई कमल भंडारी ने देहदान के लिए फॉर्म भरा। अाशा लायंस क्लब से जुड़ी और लाेगाें काे देहदान के लिए जागरूक करने लगीं।
-अारके श्रीवास्तव, (स्व. आशा के पति)
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