Monday, 9th June 2025

मप्र / प्रोजेक्ट की 1800 करोड़ की प्रॉपर्टी सहयोगी कंपनी को की ट्रांसफर, 1200 करोड़ के अधूरे फ्लैट्स की भी करा दी रजिस्ट्री

Wed, Sep 25, 2019 5:31 PM

 

  • कंस्ट्रक्शन कंपनी दीपमाला इंफ्रास्ट्रक्चर लि. ने प्रोजेक्ट से प्रॉफिट निकालने के लिए किया घालमेल

 

भोपाल . गैमन इंडिया के सृष्टि (सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट-सीबीडी) प्रोजेक्ट का कंस्ट्रक्शन कर रही दीपमाला इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने प्रोजेक्ट से अपना प्रॉफिट निकालने के लिए करीब 1800 करोड़ रुपए की प्राॅपर्टी पहले ही अपनी सहयोगी कंपनी सोनी-मोनी डेवलपर्स के नाम ट्रांसफर कर दी है। इसके अलावा करीब 1200 करोड़ के अधूरे फ्लैट की भी रजिस्ट्री कर दी गई। इस रजिस्ट्री के लिए शासन से एनओसी तक नहीं ली गई।


अब सवाल यह है कि रेरा द्वारा प्रोजेक्ट का पंजीयन रद्द करने के बाद यदि हाउसिंग बोर्ड इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करना भी चाहेगा तो बोर्ड को राशि कहां से मिलेगी? साथ ही बोर्ड फ्लैट या दुकान की रजिस्ट्री कैसे कराएगा क्योंकि जमीन की रजिस्ट्री तो गैमन इंडिया के नाम है। प्रोजेक्ट में फ्लैट का पजेशन नहीं मिलने पर गैमन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली सामाजिक कार्यकर्ता चांदना अरोरा का कहना है कि उन्होंने केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक हर स्तर पर शिकायत में सोनी-मोनी डेवलपर्स के नाम ट्रांसफर की गई प्राॅपर्टी और अधूरे फ्लैट्स की रजिस्ट्री से संबंधित पूरे दस्तावेज संलग्न किए हैं। इनमें में भारी गड़बड़ियां हैं। 

 

  • 338  करोड़ रुपए की उच्चतम बोली लगाकर गैमन ने ली थी जमीन 
  • 14.8 एकड़ जमीन हासिल की थी रीडेंसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत
  • 2013-14  में पूरा हो जाना चाहिए था प्रोजेक्ट का काम

 

बड़ा सवाल... प्रोजेक्ट के लिए कितनी राशि और चाहिए, कैसे होगा इंतजाम : हाउसिंग बोर्ड को यह प्रोजेक्ट हाथ में लेने से पहले इस बात का आकलन करना होगा कि शेष कार्यों को पूरा करने के लिए कितनी रकम की जरूरत होगी और इस राशि का इंतजाम कैसे होगा? यह भी हिसाब लगाना होगा कि जिन आवंटियों को प्रॉपर्टी आवंटित की गई है उन्होंने कितनी राशि गैमन को दे दी है और कितनी बोर्ड को मिलेगी। जमीन के मालिकाना हक सहित पूरा प्रोजेक्ट बोर्ड को ट्रांसफर करने के लिए कैबिनेट की सहमति भी लेना होगी। दूसरी ओर एक तथ्य यह भी है कि अभी गैमन इंडिया के पास कानूनी लड़ाई लड़ने के कई विकल्प मौजूद हैं।

 

करीब 10 साल पहले हुआ था गैमन के साथ अनुबंध : टीटी नगर रिडेंसिफिकेशन स्कीम के तहत गैमन ने 338 करोड़ रुपए की उच्चतम बोली लगा कर यह जमीन ली थी। राज्य शासन और गैमन के बीच हुए लीज अनुबंध में जमीन की रजिस्ट्री गैमन के पक्ष में की गई है। 2008-09 में हुए अनुबंध के अनुसार यह प्रोजेक्ट 2013-14 में पूरा हो जाना चाहिए था। समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं करने के आधार पर ही रेरा ने गैमन का लाइसेंस निरस्त कर दिया है और सलाह दी है कि अब इसे हाउसिंग बोर्ड से पूरा कराया जा सकता है।

 

आगे क्या... लोगों को प्रॉपर्टी दिलाना प्राथमिकता : हमें पूरे प्रोजेक्ट की स्थिति देखना होगी। आर्थिक स्थिति का भी आकलन करना होगा। लेकिन अभी हमें फैसले की कॉपी नहीं मिली है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद ही आगे निर्णय होगा। एक उद्देश्य यह है कि जिन लोगों ने प्रॉपर्टी बुक की है उन्हें आवंटित हो जाए, इसके लिए रास्ता निकालना होगा।  संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास एवं आवास

 

पंजीयन रद्द होने के बाद गैमन के प्रतिनिधि पहुंचे रेरा, नहीं मिला सुनवाई का मौका : इधर, गैमन इंडिया के प्रोजेक्ट में कमर्शियल स्पेस, पेंट हाउस और फ्लैट खरीदने वाले 8 ग्राहकों के पजेशन और कंपन्सेशन के मामले में मंगलवार को चल रही सुनवाई के दौरान गैमन इंडिया के प्रतिनिधि भी पहुंचे। उनका कहना था कि रेरा के पंजीयन निरस्त करने के आदेश के खिलाफ वे अपीलीय प्राधिकरण में अपील करेंगे। लेकिन रेरा के न्यायिक सदस्य दिनेश नायक ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। न्यायिक सदस्य का कहना था कि जब पंजीयन निरस्त हो चुका है तब पक्ष रखने का माैका देने का कोई औचित्य ही नहीं है।

 

बुकिंग के बारे में गाेलमाेल जानकारी दी

 

पूरे प्रोजेक्ट में कुल 1288 यूनिट  गैमन ने बताया था सिर्फ 16 बेची : प्रोजेक्ट में 1288 यूनिट बन रही थीं। इसमें 195 थ्री बीएचके फ्लैट, 32 फोर बीएचके फ्लैट, 16 पेंटहाउस, 520 ऑफिस, 176 शो रूम व 349 दुकानें थी। 1153 कवर्ड शॉपिंग स्पेस भी थे। रेरा को 2018 में दी गई जानकारी में बताया गया था कि केवल 16 यूनिट ही बेची हैं। लेकिन हितग्राहियों की संख्या बता रही है कि कंपनी 70% से अधिक यूनिट बेच चुकी है। 

 

जानकारों ने कहा- 4000 करोड़ का था गैमन का पूरा प्रोजेक्ट  : गैमन इंडिया ने 2008 में काम शुरू किया था। 70% काम पूरा हो चुका है। 15 लाख वर्गफीट का प्रोजेक्ट चार ब्लाॅक है। ए और बी ब्लाॅक में 90% और सी ब्लॉक में 50% काम हुआ है। डी ब्लॉक में अभी काम होना बाकी है। बुकिंग राशि में उसे करीब 2000 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इस प्रोजेक्ट का कुल मार्केट मूल्यांकन करीब 4000 करोड़ रुपए आंका गया था।

 

फॉरेंसिक ऑडिट से स्थिति स्पष्ट होगी : अगर यह प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड के पास जाता है तो उनके पास प्रोजेक्ट का फॉरेंसिक ऑडिट कराने का विकल्प रहेगा। इससे वे यह पता लगा सकेंगे कि इस प्रोजेक्ट के लिए अब तक कितना धन लिया गया और कितने धन की और जरूरत है।  अंटोनी डीसा, चेयरमैन, रेरा, मप्र

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