मप्र / तालाबों पर नियुक्त होंगे बोट इंस्पेक्टर... कंडम बोट की जांच की जिम्मेदारी भी इन्हीं के हवाले होगी
Mon, Sep 23, 2019 5:32 PM
- अभी नावों के संचालन के लिए न तो कानून और न ही मॉनिटरिंग की पुख्ता व्यवस्था
भोपाल . खटलापुरा नाव हादसे में 11 युवकों की मौत के बाद अब सरकार तालाबों में चलने वाली नाव और प्रतिमा विसर्जन को लेकर नए नियम बनाएगी। इसकी कवायद गृह मंत्रालय ने शुरू कर दी है। वर्तमान में तालाबों में चल रही नावों के संचालन के लिए न कोई नियम है, न कानून और न ही मॉनिटरिंग की कोई पुख्ता व्यवस्था। इसकी वजह से कंडम नावों का संचालन तालाबों में हो रहा है। नियम न बनने से प्राइवेट अाॅपरेटर बिना लाइसेंस अाैर रजिस्ट्रेशन के ही बाेटिंग करा रहे हैं।
अफसरों ने बताया कि बिहार ने ऐसी घटनाअाें काे राेकने के लिए बंगाल के नियमों को अपनाया है। बिहार सरकार द्वारा बनाए गए माॅडल रूल्स 2011 में प्राइवेट पैसेंजर बाेट के रजिस्ट्रेशन व लाइसेंस के अधिकार डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट काे दिए हैं। नाव संचालन के नए नियम बनाने की कवायद शुरू की गई है और पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा विसर्जन को लेकर बनाए गए नियमों की तर्ज पर यहां नियम बनाने की कवायद शुरू की गई है।
खटलापुरा नाव हादसे के बाद अब पूरे प्रदेश में बोटिंग और प्रतिमा विसर्जन के दौरान सुरक्षा के लिए पहली बार नियम बनाने की कवायद शुरू की गई है। जिला प्रशासन ने इसके लिए एक ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेजा है। इसमें सुरक्षा के लिए जरूरी व्यवस्थाओं को शामिल किया गया। इसके तहत जलाशयों पर बोट इंस्पेक्टर नियुक्त होंगे। इनकी निगरानी में ही बोटिंग हो सकेगी।
नाव संचालन अाैर विसर्जन काे लेकर इन प्रमुख बिंदुअाें के अाधार पर तैयार किए जाएंगे नए नियम
बोट संचालन के लिए नियम
- बोट स्थानीय निकाय, पंचायत या जिला प्रशासन में रजिस्ट्रेशन किया जाए। हर बोट को विशेष नंबर दिया जाए, जिसे अधिकृत व्यक्ति के नाम के साथ लिखा जाए। स्थानीय परिस्थियों के मुताबिक बोट का अच्छे से परीक्षण कर लिया जाए। प्रशासन को समय-समय पर इनका निरीक्षण करना चाहिए।
- अगर क्षेत्र में ज्यादा संख्या में बोट संचालित हो रही हैं तो इनके निरीक्षण के लिए एक बोट इंस्पेक्टर की तैनाती होनी चाहिए।
बोट सेफ्टी यह करें
- तमाम बोट ऑपरेटरों के पास लाइसेंस, अनुमति पत्र और बोट संचालन के सभी जरूरी दस्तावेज हों।
- बोट में तैरने में मदद करने वाले तमाम उपकरण जैसे लाइफ जैकेट आदि रखनी होगी।
- बोट का अच्छी तरह रखरखाव किया जाए। विषम परिस्थियों में मदद के लिए संकेत देने के लिए उपकरण मौजूद हों।
- बोट ऑपरेटरों को बेहतर तैराक होना चाहिए। आग से बचाव के पर्याप्त उपाय हों।
यह न करें...
- ऑपरेटर बोट चलाते वक्त किसी प्रकार का नशा न करें।
- यह सुनिश्चित किया जाए कि बोट में क्षमता से अधिक सवारी न बैठाई जाएं।
- खराब मौसम में बोट संचालित न की जाएं। यात्री बोट में शांति बनाए रखें और किसी प्रकार की हड़बड़ी न हो।
- छोटी बोट में खड़े न हों और न ही सीट बदलें। बोट में किसी तरह के ज्वलनशील पदार्थ लेकर न जाएं।
- किसी अनधिकृत व्यक्ति को बोट में न चढ़ने दिया जाए।
प्रस्ताव शासन को भेजा है...
अभी तक नाव संचालन काे लेकर काेई नियम और कानून नहीं है। साथ ही विसर्जन और झांकियों, पंडालों की जांच की जिम्मेदारी के लिए कोई नियम नहीं हैं। इन सभी व्यवस्थाओं को देखते हुए नियम बनाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। तरुण पिथाेड़े, कलेक्टर
जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए ये व्यवस्था
पूजा समिति के कार्य
- मूर्ति पारंपरिक तरीके से मिट्टी और बांस से बनी हो। इसमें किसी तरह के पीओपी और जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल न किया जाए।
- मूर्तियों की ऊंचाई और स्ट्रक्चर िकतना हो, यह तय किया जाएगा।
- मूर्ति विसर्जन से पहले इससे पूजन का सामान जैसे- फूल मालाएं, ज्वैलरी और कपड़े इत्यादि अलग कर लिए जाएं।
- मूर्ति पारंपरिक तरीके से मिट्टी और बांस से बनी हो। इसमें किसी तरह के पीओपी और जहरीले पदार्थों का इस्तेमाल न किया जाए।
- मूर्तियों की ऊंचाई और स्ट्रक्चर िकतना हो, यह तय किया जाएगा।
- मूर्ति विसर्जन से पहले इससे पूजन का सामान जैसे- फूल मालाएं, ज्वैलरी और कपड़े इत्यादि अलग कर लिए जाएं।
स्थानीय निकाय व प्रशासन के कार्य
- मूर्तियों के विसर्जन से एक महीने पहले जल स्रोतों पर प्रदूषण के भार का आकलन करना। जागरुकता कार्यक्रमों के जरिए इस संबंध में पूजा समितियों को अवगत कराना।
- जलस्रोतों के आसपास सॉलिड वेस्ट जैसे- फूल, कपड़े इत्यादि जलाने पर प्रतिबंध लगाना।
- जलस्रोतों और उसके किनारे से विसर्जन के 24 घंटे के अंदर वेस्ट मटेरियल हटाना सुनिश्चित करना।
नियमों का उल्लंघन करने पर बोर्ड पंचायत क्षेत्र के पंडालों से 3000 नगर पालिका क्षेत्र के पंडालों से 5000 और नगर निगम क्षेत्र के पंडालों से 7000 रुपए बतौर जुर्माना वसूल कर सकता है।
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