रायपुर . वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की गोवा में हुई बैठक में जीएसटी से छत्तीसगढ़ को हो रहे नुकसान का मुद्दा उठाया? उन्होंने कहा कि राज्य को पहले साल 2017 में 2500 और अब इस साल 3500 करोड़ के टैक्स रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसकी भरपाई के लिए सिंहदेव ने केंद्र से जीएसटी प्रतिपूर्ति को 2027 तक बढ़ाने के साथ कोयले पर केंद्र द्वारा लिए जा रहे सेस को छत्तीसगढ़ को देने की मांग रखी।
सिंहदेव ने कहा कि प्रदेश में 2 करोड़ से कम टर्नओवर वाले 95 फीसदी व्यापारी हैं इनसे ही 3 फीसदी टैक्स मिलता है। यदि इनके लिए टैक्स प्रक्रिया सरल की जाती है तो शासन को राजस्व हानि न के बराबर होगी। जीएसटी की प्रक्रिया के सरलीकरण से उन पर पड़ने वाले भार को कम किया जा सके। सिंहदेव ने कहा कि जिन राज्यों को जीएसटी से नुकसान होगा, उन राज्यों को केन्द्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति राशि इसके लागू होने के 5 वर्षों (2022) तक दी जाएगी।
जीएसटी से छत्तीसगढ़ को बहुत अधिक राजस्व की हानि हो रही है। वर्ष 2022 के बाद ऐसी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है जिससे राजस्व नुकसान की भरपाई की जा सके। बैठक में सचिव जीएसटी रीना कंगाले भी शामिल हुईं। सिंहदेव ने राज्य के राजस्व हित की रक्षा के लिए केन्द्र द्वारा दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि 2022 के बाद भी जारी रखने की मांग काउंसिल के सामने रखी।
उन्होंने छत्तीसगढ़ को हो रहे राजस्व हानि की पूर्ति के लिए कोयला पर 400 रूपए प्रति टन की दर से लगाए जा रहे क्षतिपूर्ति सेस को कोयला उत्पादक राज्य को देने और सभी तरह के सेस को प्रथम बिन्दु पर ही लेने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि इन सुझावों को मान लिए जाने पर जीएसटी के कारण प्रदेश को हो रहे नुकसान की भरपाई कुछ सीमा तक हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018-19 में छत्तीसगढ़ में एस.ई.सी.एल. द्वारा कोयला पर सेस के रूप में 5,700 करोड़ रूपए जमा किया गया था। एसा हो ने पर छत्तीसगढ़ को केंद्र से प्रतिपूर्ति की जरुरत नहीं पड़ेगी।
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