न्यूयॉर्क. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने शनिवार को कहा कि भारत की विदेश नीति में आतंकवाद एक बड़ा हिस्सा है और आगे भी रहेगा। हम इसे हर मंच पर उठाते रहेंगे। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि यह (मुद्दा) हमारे लोगों को जितना प्रभावित करता है, बाकी दुनिया पर उसका असर कम है।
उन्होंने कहा कि इस साल आतंकवाद के खिलाफ दो बड़ी कामयाबी मिलीं। पहली यह कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भारतीय सैनिकों के खिलाफ हुए आतंकी हमले (पुलवामा अटैक) की निंदा की। दूसरी यह कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया। बीते एक दशक से हम इसकी कोशिश में लगे हुए थे।
‘हर फोरम में आतंक के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे’
अकबरुद्दीन ने कहा कि यूएन महासभा सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इवेंट में आतंकवाद पर फोकस रहेगा। अब इंटरनेट और साइबर स्पेस में कट्टरपंथियों की बढ़ती मौजूदगी पर बात करनी है। आने वाले समय में यह खतरा बड़े रूप में सामने आएगा।
प्रधानमंत्री इमरान खान के यूएन महासभा में कश्मीर मामले पर बात करने के मसले पर अकबरुद्दीन ने कहा- ‘‘मैंने यूएन में कई महासभा देखी हैं। कई लोग उनके 30 मिनट का इस्तेमाल वैश्विक स्तर का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। लेकिन आखिर में लोग उन्हें उसी तरह याद रखते हैं, जैसे वे हैं।’’
‘भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत हो रहे’
अकबरुद्दीन ने कहा- भारत और अमेरिका के रिश्ते लगातार बेहतर हो रहे हैं। यह चौथा मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात हो रही है। यह दर्शाता है कि दोनों के बीच के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं।
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