Monday, 9th June 2025

भोपाल / दिल्ली के वकील-व्यापारी का कारनामा, ड्राइवर, माली के नाम फर्में बनाकर ले ली 50 करोड़ रु. की टैक्स क्रेडिट

Fri, Sep 20, 2019 5:58 PM

 

  • जीएसटी विभाग की इंटेलिजेंस विंग ने सात माह चली लंबी जांच में इस रैकेट का भंडाफोड़ किया

 

भोपाल. दिल्ली के दो लोगों ने अपने ड्राइवर, माली और घर के नौकरों के नाम बने आईडी अाैर एड्रेस प्रूफ के जरिए छह से अधिक बोगस फर्में बनाकर बिना किसी खरीद-बिक्री के 277 करोड़ रुपए के फर्जी इनवाइस (बिल) जारी कर दिए। इसके जरिए भोपाल में होशंगाबाद रोड और एमपी नगर में पंजीकृत तीन फर्मों आरए इंटरप्राइजेज, राधारानी ट्रेडर्स और मयूरा ट्रेडर्स ने करोड़ों रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर लिए। इससे सीजीएसटी विभाग को 50 करोड़ रुपए से अधिक की आर्थिक क्षति हुई।

विभाग की इंटेलिजेंस विंग ने सात माह चली लंबी जांच में इस रैकेट का भंडाफोड़ किया है। विंग के ज्वाइंट डायरेक्टर असीम वैभव ने बताया कि रैकेट का संचालन करने वाले राजेश शर्मा और वकील ललित कुशवाहा को सीजीएसटी एक्ट की धारा 132 1 (बी) और 1 (सी) में गिरफ्तार  किया गया है।  गुरुवार को अरेरा हिल्स स्थित मजिस्ट्रेट शिवराज सिंह गवली की अदालत में पेश किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए इन दोनों को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। 

इस तरह हुआ पूरे मामले का भंडाफोड़ 
भोपाल में सीजीएसटी विभाग की इंटेलीजेंस विंग को जुलाई में पता चला कि कुछ फर्में फर्जी बिल के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) ले रही हैं। यह बिल दिल्ली की किसी फर्म के जरिए जारी हो रहे हैं। इस पर इंटेलीजेंस फर्मों के दिल्ली स्थित पते पर पहुंचा। हर जगह दो कमरे के मकान पर फर्में पंजीकृत बताई गई। इनके मकान मालिकाें ने बताया कि उन्हें तीन माह का एडवांस किराया देकर ये मकान किराए पर लिया गया है। यह भी बताया कि कोई ललित नामक का व्यक्ति यह किराया देकर गया है। मकान मालिक के पास दिए गए आईडी और एड्रेस प्रूफ के जरिए इंटेलीजेंस विंग ललित कुमार कुशवाह तक पहुंची। उसने स्वयं को पेशे से एडवोकेट बताया। उसने अपने क्लाइंट के लिए यह काम करना बताया। लंबी पूछताछ के बाद उसने राजेश शर्मा का नाम लिया।

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