Sunday, 25th May 2025

दिल्ली / एक साल में 10 लाख 40 हजार बच्चों की मौत, 7 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत की वजह कुपोषण

Thu, Sep 19, 2019 6:49 PM

 

  • छत्तीसगढ़ के 45.7 फीसदी बच्चों और  53.1% महिलाओं में खून की कमी

 

पवन कुमार| नई दिल्ली . देश में पांच वर्ष की उम्र तक के 10 लाख 40 हजार बच्चों की मौत एक वर्ष में हुई जिसमें सात लाख छह हजार बच्चों की मौत की वजह कुपोषण है। इसमें से सात लाख, छह हजार बच्चों की मौत की वजह कुपोषण है। यह अांकड़ा 2017 का है। 27 साल पहले इस उम्र के 70.4% बच्चों की मौत की वजह कुपोषण थी, जबकि अभी यह 68.2% है। इस अवधि में महज 2.2% की ही कमी आई है। हालांकि 27 वर्ष पहले 1990 में एक लाख में 2336 बच्चों की मौत कुपोषण से होती थी। अब यह संख्या प्रति एक लाख पर 801 रह गई है। 


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने देश के करीब 100 संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ मिल कर यह अध्ययन किया है। आईसीएमआर ने अलग-अलग अध्ययन के डेटा को संग्रह करके वैज्ञानिक तरीके से यह अध्ययन किया है।  इस अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित किया गया है।


अध्ययन के मुताबकि 1990 में पांच वर्ष की उम्र तक के 70.1% बच्चे शरीर में किसी न किसी गड़बड़ी के साथ जी रहे थे। 27 वर्ष में इसमें 3% की कमी आई है। 2017 में यह घटकर 67.1% पर अा गया है। पांच वर्ष से ऊपर के आयु वर्ग में शरीर में गड़बड़ी के साथ जीने वाले लोगों में इस अवधि में 19.2% की कमी आई है। 1990 में 36.5% ऐसे लोग थे, जो अब घटकर 17.3% रह गया है।


तेलंगाना और दिल्ली के बच्चे ज्यादा मोटे : तेलंगाना में प्रति 100 बच्चों में 23.2 बच्चे, दिल्ली में 23.1, गोवा में 22.3, राजस्थान में 10, छत्तीसगढ़ में 9.9, झारखंड में 8.6, मध्य प्रदेश में 8.2, बिहार में 6.8, हिमाचल प्रदेश में 18.5, पंजाब में 12.1, हरियाणा में 14.4, गुजरात में 13.1 और महाराष्ट्र में 14.9% बच्चे मोटापे के शिकार हैं। यह भी एक तरह का कुपोषण है।

  •  39% बच्चों की लंबाई जन्म के समय कम होती है। उत्तर प्रदेश में 49% और सबसे कम गोवा में 21% बच्चे जरूरत से कम लंबे हैं। 
  •  60% बच्चों में खून की कमी, सबसे ज्यादा हरियाणा में 74% और सबसे कम मिजोरम में 21% में कमी।
  •  54% महिलाओं में खून की कमी, सबसे ज्यादा हरियाणा में 65% और सबसे कम मिजोरम में 28% में कमी।
  •  53% माताएं अपने बच्चों को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराती हैं सबसे ज्यादा 74% छत्तीसगढ़ में और सबसे कम 34% मेघालय में।

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