Saturday, 19th July 2025

छत्तीसगढ़ / हाथियों का आतंक रोकने के लिए जंगल से सटे गांवों में नींबू व करौंदा के पौधों के साथ लगाएंगे हाई मास्क लाइट

Mon, Sep 9, 2019 4:07 PM

 

  • वन विभाग ने प्रयोग के लिए चारभाटी को चुना, सफल हुए तो पूरे प्रदेश में पौधे लगाए जाएंगे
  • सुरक्षा के मद्देनजर विभाग जंगल में जगह-जगह हाइमास्क लाइट भी लगाएगा

 

जशपुरनगर . जिले में हाथियों की समस्या से निबटने के लिए वन विभाग नया प्रयोग करने जा रहा है।  इसमें प्रभावित क्षेत्र में जंगल से सटे हुए खेतों के किनारे कांटेदार नींबू और करौंदा के पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग का मानना है कि ऐसा करने से हाथी गांव के अंदर प्रवेश नहीं करेंगे और पौधों से होने वाले उत्पादन से किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी। सुरक्षा के मद्देनजर विभाग जंगल में जगह-जगह हाइमास्क लाइट भी लगाएगा।


जिले में आए दिन हाथियों का दल जिले के किसी ना किसी गांव में घुसकर फसल और मकानों को क्षति पहुंचा रहे हैं। वन विभाग जंगलों से लगे हुए गांवों में हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए अब नया प्रयोग करने जा रहा है। नए प्रयोग में जंगलों से लगे हुए ग्रामीणों के खेतों की मेड़ में नींबू और करौंदा के पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग इस प्रयोग के लिए चारभाटी गांव का चयन किया है। वन विभाग से िमली जानकारी के अनुसार चारभाटी गांव जंगल के किनारे बसा हुआ है और इस गांव में हमेशा हाथियों का दल आता रहता है। गांव में जिन लोगों की जंगल किनारे जमीन है, उसमें जंगल के किनारे तीन लेयर में नींबू और करौंदा का पौधे लगाए जाएंगे ताकि हाथी गांव में प्रवेश न कर सके।

हाई मास्क लाइट से रात में भी हाथियों पर नजर रखीं जा सकेगी : हाथियों से परेशान वन विभाग अब जंगलों में हाई मास्क लाइट लगाने की योजना बनाई है। इस संबंध में डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव ने बताया कि जिले में हाथियों की समस्या विकराल होती जा रही है। हाथियों की समस्या को देखते हुए जंगलों में हाई मास्क लाइट लगाने की योजना तैयार की है। जंगलों में हाई मास्क लाइट लगाने की योजना का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है। हाथी प्रभावित क्षेत्रों के जंगलो में हाइ मास्क लाइट लगाई जाएगीं। इससे हाथियों के हलचल का रात में भी आसानी से पता चल सकेगा।

30 वर्ष पुरानी है जिले में हाथी की समस्या : जशपुर जिले में हाथी की समस्या 30 वर्ष पुरानी है और 30 वर्षो से जिले के लोग हाथियों की समस्या जूझ रहे हैं। जिले में पहली बार 1988 में झारखंड के रास्ते से हाथियों का प्रवेश जशपुर जिले में हुआ था। हाथियों के प्रवेश होने के बाद हाथी समस्या से निबटने के तमाम प्रयास किए पर उसके बावजूद भी वन विभाग इन हाथियों के सामने लाचार साबित हो रहा है। हाथियों का कोई स्थायी समाधान नहीं होने से यह समस्या 1988 से बनी हुई है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक  2019 में हाथियों से अभी तक 9 लोगों की जाने गई है।

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