Sunday, 25th May 2025

छत्तीसगढ़ / नक्सल मोर्चे पर तैनात सीआरपीएफ के जवान मोटापा, बीपी, शुगर और दिल की बीमारी से जूझ रहे: रिपोर्ट

Fri, Sep 6, 2019 5:16 PM

 

  • बस्तर में काम करने वाले जवानों के एनुअल मेडिकल एग्जामिनेशन में खुलासा
  • स्ट्रेस और कैंपों में उचित व्यवस्था नहीं होना भी बीमारियों की वजह, इलाज के इंतजाम नहीं

 

जगदलपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बल (सीआरपीएफ) के सैकड़ों जवान बीमार हैं। वे वजन बढ़ने, बीपी, शुगर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। कई जवानों को बढ़ते वजन की चलते हडि्डयों में भी परेशानी हो रही है, इनमें घुटनों का दर्द प्रमुख है। बीमारियों से घिर रहे जवान नक्सल मोर्चे पर काम करने के लिए फिट नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ की 22 बटालियन तैनात हैं और अलग-अलग बटालियन में बीमार जवानों की संख्या एक बटालियन के बराबर हो रही है।

  • बस्तर के अलग-अलग कैंपों में रहने वाले 894 जवान तो ऐसे हैं जो 'लो मेडिकल कैटेगरी' यानी शारीरिक रूप से पूरी तरह से अस्वस्थ हैं। इसके अलावा सैकड़ों जवान ऐसे हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं। जवानों के बीमार होने की जानकारी खुद सीआरपीएफ के अफसरों को नहीं थी लेकिन कुछ समय पहले पूरे इलाके में तैनात जवानों का एनुअल मेडिकल एग्जामिनेशन करवाया गया। जब रिपोर्ट आई तो डाॅक्टर और अधिकारी चौंक गए। अब अनफिट जवानों को बस्तर से हटाने की तैयारी चल रही है।
  • बस्तर नक्सल मामलों में बेहद खतरनाक इलाका है ऐसे में जवानों की फिटनेस को लेकर जानकारी मिलते ही सीआरपीएफ के आईजी जीएचपी राजू ने मुख्यालय को भेजे गए पत्र में लिखा है- नक्सल प्रभावित इलाके सुरक्षा बल के इन जवानों के लिए बहुत ही ज़्यादा संवेदनशील हैं और ऐसे में शारीरिक रूप से कमज़ोर जवानों और अफसरों की तैनाती विभाग पर एक बोझ की तरह है।


काम का तनाव बढ़ने से बढ़ रही बीमारियां 
बस्तर में सीआरपीएफ जवान ऑपरेशन से लौटने के बाद कैंप के अंदर ही डटे रहते हैं। कैंपों में जवानों के फिटनेस के लिए जिम, मैदान या दूसरी सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। जवानों का इलाज करने वाले मेडिकल कर्मचारियों की मानें तो जवानों से जितना श्रम लिया जा रहा है, बदले में उतना आराम नहीं मिल पा रहा है। जवान मानसिक और शारीरिक रूप से थके हुए हैं और इसी थकावट में काम का तनाव बढ़ने से वे बीमार हो रहे हैं। शुगर, बीपी और ओवरवेट का एक बड़ा कारण यही है। इसके अलावा शुगर कुछ जवानों को जेनेटिक रूप में मिली है।

जवानों के जोखिम भत्ते को रोकने की मांग
इधर, सीआरपीएफ जवानों के बीमार होने के बाद आईजी राजू ने इन जवानों और अधिकारियों को जोखिम भरे इलाकों में मिलने वाले भत्ते को रोकने की सिफारिश की। लेकिन जोखिम भत्ते के तौर पर धुर नक्सल प्रभावित इलाके में तैनात जवान को सिर्फ 17300 और सामान्य लेकिन नक्सल प्रभावित होने पर करीब 9500 रुपए ही मिलते हैं।

कोबरा जवान अब भी सबसे ज्यादा फिट
बस्तर में विपरीत परिस्थितियों के बीच काम रहे सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो के जवान अभी भी फिट मिले हैं। वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कोबरा के जवान शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत पाए गए हैं। बस्तर में सीआरपीएफ के सबसे खतरनाक बटालियन कोबरा को माना जाता है।

इलाज के लिए 600 किमी का सफर तय करना पड़ता है
जवानों के फिट से अनफिट होने के दौर के बीच भी उन्हें मेडिकल सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों को इलाज के नाम पर सिर्फ सर्दी-खांसी-बुखार की दवा मिल पा रही हे। इससे ऊपर की बीमारी होने पर कोंटा और इस जैसे अंदरूनी इलाकों में रहने वाले जवानों को करीब 600 किमी का सफर तय कर रायपुर पहुंचना पड़ता है। रायपुर पहुंचने के लिए सीधा सड़क मार्ग भी उपलब्ध नहीं ऐसे में हेलिकॉप्टर ही एक मात्र इलाज का सहारा होता है।

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