बॉलीवुड डेस्क. इस बार बॉलीवुड सेलेब्स के गणेशोत्सव में देखने में आ रहा है कि ये अब गणपति स्थापना में श्रद्धा के साथ पर्यावरण का ध्यान भी रख रहे हैं। वो मिट्टी की प्रतिमा की स्थापना के साथ, उसे घर पर ही विसर्जन की बात कह रहे हैं।
10 साल से यह त्योहार मना रही: शिल्पा शेट्टी
शिल्पा शेट्टी बताती हैं, "मैं दस साल से यह त्योहार मना रही हूं। गणपति स्थापना का यह मेरा दसवां साल है। मुझे अभी भी याद है कि हम आखिरी पल तक कैसे भाग दौड़ करके सारी तैयारियां करते हैं। इस बार पंद्रह दिन पहले से हमारी तैयारी शुरू हो गई है। अब हमें इसकी आदत हो गई है। पिछले कुछ सालों से हम पीओपी की मूर्तियों को पूरी तरह छोड़ मिट्टी के गणेश लेकर आते हैं और इनका विसर्जन बिल्डिंग के नीचे एक पानी की टंकी में ही करते हैं। मैं समुद्र तट के नजदीक ही रहती हूं, फिर भी हम बीच पर विसर्जन नहीं करते। यह एक मुख्य बदलाव इतने सालो में हमने अपनाया है। डेकोरेशन भी हमारा इकोफ्रेंडली ही होता है।
'लालबाग के राजा में है अटूट श्रद्धा'
शिल्पा आगे कहती हैं, "मैं पहले लालबाग के राजा के दर्शन के लिए जाया करती थी, मेरी वहां पर काफी श्रद्धा है। मैंने मन में निश्चय किया था कि शादी के बाद मैं अपने घर पर गणपति लेकर आऊंगी और मैंने यह प्रण पूरा किया। मेरे गणपति की मूर्ति हर साल लालबाग के राजा की तरह ही रहती है। जो मूर्तिकार वहां की मूर्ति बनाते हैं, वही मेरे लिए भी बनाते हैं। उनसे रिक्वेस्ट करके ईको फ्रेंडली गणेश बनाने को कहती हूं।"
'जीवन में कई बार मिला बप्पा का साथ'
बकौल शिल्पा, "मेरे जीवन में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब मुझे लगा कि बप्पा मेरे साथ हैं। मेरे पति राज हमेशा मुझे चिढ़ाते हैं कि ऐसा कोई भगवान नहीं है जिसको तुमने छोड़ा हो। जितनी श्रद्धा से तुम सभी भगवान की पूजा करती हो, तो एक नहीं तो दूसरे भगवान तो तुम्हारे काम आएंगे ही। सच कहूं तो मैं गणपति को घर पर इसलिए नहीं लाती हूं कि मैं उनसे कुछ मांग सकूं, बल्कि इससे मुझे खुशी मिलती है।"
तीन दिनों में कोई डाइट फॉलो नहीं करतीं
गणपति के दौरान मैं अपने शेड्यूल में से तीन दिन हमेशा बचाकर रखती हूं। इसमें एक दिन गणपति लाने और दो दिन स्थापना व आरती के लिए। तीसरे दिन विसर्जन होता है। मैं ये तीन दिन गणपति की सेवा में बिताना चाहती हूं। हर साल भोग का हलवा अपने हाथ से बनाती हूं। प्रसाद भी हेल्दी रखती हूं, जिसमें शक्कर नहीं होती। इन तीन दिनों में ऐसी कोई डाइट फॉलो नहीं करती, जिसे मैं नहीं खा सकती। ऐसा ही सब मैं मेहमानों के लिए भी बनवाती हूं, चाहे वह चाट हो, पराठा, मीठा या बाकी कोई और डिश हो। मैं अपने बच्चे वियान को भी इस पवित्र त्योहार की जानकारी देने के लिए सीख देती हूं।
श्रद्धा कपूर के घर पर कोल्हापुरे गणपति रखे जाते हैं और यह गणपति डेढ़ दिन के होते हैं। श्रद्धा की मासी पद्मिनी कोल्हापुरी कहते हैं कि बहुत सालों से उनके फैमिली में यह फेस्टिवल मनाया जा रहा है। अभी 55 साल से ज्यादा हो गए हैं। इस दौरान कोल्हापुरे परिवार से हो या कपूर परिवार से सब एक साथ आ जाते हैं, साथ में खाना बनाते हैं और प्रसाद बनाते हैं। इन डेढ़ दिन में बहुत हल्ला-गुल्ला होता है।
जब से होश संभाला है तब से बप्पा की पहली आरती हमेशा मैं ही करता हूं। यह सिलसिला मैंने गिरगांव से शुरू किया था। जब मैं पाली हिल में शिफ्ट हो गया तो वहां भी पहली आरती मैं ही करता था और मेरे पुराने दोस्त गिरगांव के जो है वह भी शामिल होते थे। अब जुहू में आने के बाद यहां भी पहली आरती मैं ही करता हूं। गणपति उत्सव आने से पहले चाहे मैं अमेरिका में रहूं या किधर भी मौजूद रहूं, बप्पा के पहली आरती करने के लिए हमेशा मुंबई में आ जाता हूं। एक दो बार प्रॉब्लम हुई थी, लेकिन कैसे ना कैसे पहली आरती करने के लिए पहुंच गया। यह बप्पा का आशीर्वाद है कि उनकी आरती करने का मुझे मौका मिलता है।
मेरी फैमिली पिछले 40 सालों से गणेश चतुर्थी सेलिब्रेट कर रही है। अब गणपति हमारी फैमिली का ही एक हिस्सा हैं और इस साल भी हम बड़े धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाएंगे। हमारे यहां पर पांच दिन के मिट्टी के गणपति बैठते हैं। मैं इनके अरेंजमेंट, पूजा और सभी तैयारी के लिए भागदौड़ कर रहा हूं और मैं यह हमेशा करता हूं। मेरी सहायता के लिए मेरे परिवार के अन्य लोग भी जुड़ जाते हैं। विसर्जन के दिन हमारे दोस्त और परिवार एक साथ आ जाते हैं और हम लोग साथ में लंच करते हैं और फिर विसर्जन के लिए रवाना होते हैं।
मेरे लिए त्योहार के मायने हैं नेचर का ध्यान रखकर सेलिब्रेशन करना। मैं हमेशा मिट्टी से बनी गणपति की मूर्ति लेके आता हूं और उनका घर पर ही गणपति का विसर्जन करता हूं। उरली के अंदर मैंने दूर्वा लगाई हुई है। उसके ऊपर में गणपति बप्पा को रखता हूं। वहां मैं गुड़हल का बीज डालता हूं, फिर बेल,पान भी रखता हूं, तुलसी रखता हूं और वहीं का वहीं विसर्जन होता है। मैं यह काफी सालों से कर रहा हूं। मैं पहले चौपाटी पे रहता था और हर साल विसर्जन के बाद उसकी हालत देखता था वह देखकर मुझे काफी बुरा लगता था। मैं मानता हूं कि इतने पवित्र त्योहारों पर हम पर्यावरण को चोट पहुंचाने वाली हरकतें न करें।
गणेश चतुर्थी से हमारी कई यादों जुड़ी हुई हैं। मुझे याद है कि बचपन में हमें इस त्योहार पर नए कपड़े मिलते थे और सभी परिचित इसे मनाने इकट्ठा होते थे। अच्छा-अच्छा खाना बनता था। गणपति के त्योहार को लेकर बचपन में बहुत खुशी का माहौल हुआ करता था। यह खुशी हमारे यहां आज भी देखी जा सकती है। मेरे हिसाब से हर एक त्योहार का उद्देश्य एक ही है कि खुशी बांटना।
गुडलक लेकर आती है गणेश चतुर्थी: करण देओल
गणेश चतुर्थी हमारे लिए गुडलक लेकर आती है। मुझे याद है मैं जब छोटा था, हमारे ऑफिस के पंडाल में गणपति की पूजा करने के लिए पहुंच जाता था। सभी फैमिली सदस्य इस पूजा में मौजूद रहते थे। आरती करने में बहुत मजा आता था। फिर हम विसर्जन के लिए भी एकजुट होकर जाते थे। इस बार भी वही सब होगा।
पहले शूट के चलते गणपति पर घर पर रुकने का मौका नहीं मिलता था, लेकिन अब पिछले 4 साल से नियम बना लिया है कि गणेश चतुर्थी पर घर पर ही रहूंगी। गणपति के उत्सव को लेकर मेरी सबसे अच्छी मेमोरी विसर्जन के दिन वाले डांस को लेकर है। मैं एक ट्रेंड डांसर हूं, लेकिन उसके बावजूद विसर्जन के दिन आंख बंद करके रास्ते पर ऐसा नाचते थे जैसे किसी का कोई डर ही नहीं। विसर्जन में आप दिल खोलकर नाच सकते हो।
बप्पा जब भी घर आते हैं, कुछ अच्छा जरूर होता है। उनकी स्थापना तो हमारे यहां हर साल की रीत बनी हुई है। वैसे तो हमारे घर के एंट्रेस पर गणपति की एक परमानेंट मूर्ति है। हम हर रोज उनकी आरती करते हैं। इस बार मेरी बेटी ने हमने इको फ्रेंडली गणपति की स्थापना की प्रेरणा दी है। उसके कहने पर घर पर इनकी स्थापना की है। विसर्जन भी घर पर ही करेंगे। मैं गणपति का शुक्रिया अदा करती रहती हूं कि उन्होंने जितना दिया है, उसे संभाल सकूं। मैं मस्जिद और गुरुद्वारे भी जाती हूं।
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