रायपुर . राज्य के ओबीसी वर्ग को नौकरियों में 27 फीसदी आरक्षण देने के फैसले के बाद सरकार ने गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया है। इसके अंतर्गत आने वाले लोगों का क्राइटेरिया तय कर दिया गया है। इस फैसले के बाद राज्य में अब आरक्षण का प्रतिशत बढ़कर 82 हो जाएगा। इसे लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के बाद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 10% आरक्षण के लिए जो नार्म्स तय किए गए हैं, उनका पालन किया जाएगा। साथ ही आरक्षण की नई व्यवस्था लागू करने के लिए आवश्यकता होने पर कमीशन का भी गठन किया जाएगा। बता दें कि 15 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। साथ ही एससी का आरक्षण एक फीसदी बढ़ाकर 13 फीसदी करने का ऐलान किया था। इसके बाद सामान्य वर्ग से भी आरक्षण की मांग उठ रही थी। यही वजह है कि कैबिनेट ने आरक्षण की परिधि से बाहर यानी सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया है।
ये होंेगे पात्र
आबादी के आधार पर देंगे आरक्षण : सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले के बाद अब सरकार आबादी के आधार यह तय करेगी कि सामान्य वर्ग के अंतर्गत जो भी लोग रहते हैं, उनकी संख्या के आधार पर आरक्षण तय होगा। अध्यादेश लागू होने के बाद सरकार पूरी प्रक्रिया व नियम बनाएगी। इसके लिए कमीशन का भी गठन किया जा सकता है, जिससे किसी तरह के मतभेद की स्थिति न बने।
ये भी महत्वपूर्ण फैसले
फैसले से बड़ा राजनैतिक संदेश : सोशल इंजीनियरिंग। राजनीति का चर्चित शब्द। और भूपेश सरकार इसी को साधने में जुट गई है। गरीब सवर्णों को आरक्षण का फैसला इसी दिशा में है। कुछ दिन पहले ही जब ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी और एससी वर्ग के आरक्षण को 12 से 13 फीसदी करने का फैसला आया तब सवर्णों के बीच से आवाज उठने लगी थी। मध्यप्रदेश की तरह यहां भी सपाक्स आंदोलन खड़ा हो पाता उससे पहले ही भूपेश सरकार ने बड़ा दांव खेल दिया। इस फैसले के मूल में जैसी भी सोच हो। पर फैसले से एक संदेश जरूर निकल रहा है- गरीब सवर्णों के बारे में सरकार ने सोचा है। छत्तीसगढ़ पहला राज्य नहीं है जो यह फैसला कर रहा है पर इस राज्य के लिए उसके मायने अलग हैं। इस राज्य में एसटी, एससी ओर ओबीसी की बहुलता है। रिजल्ट 72 प्रतिशत तक आरक्षण।
पहली बार सवर्ण आरक्षण के दायरे में आ रहे हैं, इसलिए इस फैसले की अहमियत ज्यादा है। ब्लैक एंड व्हाइट में जो दिख रहा है वह यही है। लेकिन परदे के पीछे से जो संदेश प्रसारित होता रहेगा, वह है-भूपेश सरकार खास वर्ग विशेष के लिए काम नहीं कर रही, बल्कि वह हर वर्ग के बारे में सोचती और करती है। यह संदेश उस माउथ पब्लिसिटी की काट के रुप में भी काम करेगा जिसमें सरकार पर वर्ग विशेष के लिए काम करने का आरोप प्रमुखता से लगाया जाता रहा है। आरक्षण के फैसले पर कानूनी लड़ाई जैसी भी होगी, लेकिन सरकार के लिए राजनीतिक लड़ाई का बड़ा आधार खड़ा हो गया। यह तय दिख रहा है।
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