Sunday, 27th July 2025

मप्र / देवास के पास 20 हजार एकड़ में इंडस्ट्रियल टाउनशिप व नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा

Wed, Aug 28, 2019 3:55 PM

 

  • कंट्रोल्ड फील्ड एक्सप्रेस-वे का खाका तैयार, आज मुख्यमंत्री करेंगे रिव्यू, लागत 5435 करोड़ रुपए  

 

भोपाल । इंदौर-भोपाल सिक्स लेन एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे। जितना बड़ा नाम, उतना ही बड़ा प्रोजेक्ट। इसका खाका तैयार हो गया है। इसमें मौजूदा भोपाल-इंदौर हाईवे और एक्सप्रेस-वे के बीच में सोनकच्छ और एक्सप्रेस-वे के दूसरी तरफ कुल 20 हजार एकड़ में इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाने का प्रस्ताव है। यहीं नया इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी बनेगा। इसका खाका तैयार हो गया है।


इस बीच मंगलवार को एक्सप्रेस-वे को लेकर मुख्य सचिव ने एसआर मोहंती ने अधिकारियों के साथ चर्चा की है। बुधवार को मुख्यमंत्री इसका रिव्यू करेंगे। एक्सप्रेस-वे के साथ टाउनशिप के लिए जमीन का अधिग्रहण राज्य सरकार करेगी। जबकि एक्सप्रेस-वे का निर्माण एनएचएआई करेगी। बताया जा रहा है कि इस एक्सप्रेस-वे को नेशनल हाईवे घोषित करने की भी तैयारी है। एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी ने मुख्यालय को इस संबंध में लिख दिया है। यह मसला अभी प्रशासकीय स्वीकृति के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं हाईवे मंत्रालय के अधीन लंबित है।  


प्रोजेक्ट की अवधि को ध्यान में रखकर एक  को-आर्डिनेशन कमेटी का भी प्रस्ताव है, जिसमें एसीएस वन, एसीएस वित्त, एसीएस योजना, पीएस उद्योग, पीएस पीडब्ल्यूडी, पीएस नगरीय विकास, कमिश्नर भोपाल व उज्जैन, कलेक्टर भोपाल, रायसेन, सीहोर व देवास रहेंगे।
 

इस प्रोजेक्ट के तीन चरण होंगे : पहला चरण तीन साल में पूरा होगा, जिसमें ईपीसी मोड (इंजीनियरिंग, प्रिक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) के तहत 2000 हेक्टेयर क्षेत्र का विकास होगा। इसके बाद पीपीपी अथवा ईपीसी मोड के तहत बाकी के तीन चरणों में आगामी 10 वर्ष तक 2000-2000 हैक्टेयर का विकास होगा। इस टाउनशिप में सीसी रोड, स्मार्ट पार्किंग, ट्रेफिक मानिटरिंग एंड कंट्रोल, वेयरहाउस, तौल चौकियां,  ट्रक टर्मिनल, इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग, स्काडा, सीसीटीवी सर्विलांस, चौबीस घंटे सिक्यूरिटी, कमर्शियल सेंटर, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट व हॉस्पिटल व इंफ्रास्ट्रक्चर की अन्य चीजें शामिल होंगी।

 
एक्सप्रेस-वे से जुड़ेंगे तीन काॅरिडोर.... : भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे से तीन कॉरिडोर और जुड़ेंगे। इनमें जबलपुर-भोपाल फोरलेन (327 किमी) पहला, कांडला-ध्रंगाधरा-अहमदाबाद-गोधरा-दाहोद-इंदौर-देवा-भोपाल (1038 किमी) दूसरा और तीसरा बैतूल-भोपाल (166 किमी) होगा। बैतूल और जबलपुर कॉरिडोर भोपाल के पास मिलेंगे। कांडला वाला देवास और सागर वाला भोपाल में मिलेगा।
 
देवास के पास की जमीन ही क्यों ? :
 विभाग का दावा है कि यहां फॉरेस्ट की जमीन नहीं है। ज्यादातर जमीन बिना कृषि की और पड़त है। इसके अलावा 2000 हैक्टेयर जमीन एक साथ है।
 
 विकास के माॅडल के विकल्पों पर होगी बात : 
प्रस्तावित खाके में विकास के माॅडल बताए गए हैं। इसमें राज्य सरकार खुद निर्माण करे। किसी के साथ ज्वाइंट वेंचर में जाए या फिर प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप करे। इसमें एरिया शेयर, रेवेन्यू शेयर या अन्य विकल्प पर जा सकते हैं। इस पर मुख्यमंत्री निर्णय लेंगे।

तीन पॉइंट्स... जमीन अधिग्रहण पर राज्य सरकार खर्च करेगी 530 करोड़ रु.

1. एक्सप्रेस-वे में फारेस्ट की 158.25, सरकार की 35.16 और निजी क्षेत्र की 857 हेक्टेयर जमीन होगी। अधिग्रहण पर 530 करोड़ रु. राज्य सरकार खर्च करेगी।

2. भारत-माला प्रोजेक्ट के तहत सागर से कांडला तक प्रस्तावित इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा होगा एक्सप्रेस-वे, डीपीआर बनाएगी फीडबैक इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड।

3. भोपाल के बड़झिरी से करणावद के बीच 119.9 किमी का छह-लेन का एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस-वे। मंडीदीप से बड़झिरी तक 26.9 किमी का वेस्ट सर्दर्न फोरलेन बायपास।

अनूठी डिजाइन : एक्सप्रेस-वे पर यदि बाद में ट्रैफिक बढ़ता है तो दो-लेन के सर्विस रोड में छेड़छाड़ किए बिना इसे आठ लेन में बदला जा सकेगा। राज्य सरकार इसे हाइब्रिड एन्यूटी मोड पर बनाने का विचार कर रही है, जिसमें 40% राशि सरकार देती है। शेष राशि का निवेश निर्माता एजेंसी को करना होता। यह 60% राशि आने वाले 15 साल में तीन किस्तों में राज्य सरकार देती है।

दावा : 7.6 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा - प्रारूप में दावा किया गया है कि टाउनशिप से देश की जीडीपी में 1.20 लाख करोड़ रुपए की मदद होगी। तीन लाख लोगों को प्रत्यक्ष और 4.6 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। 60 हजार करोड़ रुपए का निवेश अगले 10 वर्षों में होगा। 

पहला चरण : तीन साल में, आधा खर्च सरकार का - प्रोजेक्ट का पहला चरण तीन साल में पूरा होगा। इसके लिए एक हजार करोड़ रु. का कर्ज सरकार ले सकती है। इस फेज की लागत का 10% उद्योग विभाग और 40% बजट राज्य सरकार देगी। सरकार को 2023 तक हर साल 400 करोड़ रुपए देने होंगे।

प्रोजेक्ट टाइम लाइन  कब से कब तक 

  • दिसंबर 2019 तक भूमि अधिग्रहण, फॉरेस्ट डायवर्सन और पर्यावरण की मंजूरी
  • मार्च  2020 तक निविदा की प्रक्रिया
  • जून  2020 तक निर्माणकर्ता एजेंसी तय
  • जून  2023  तक प्रोजेक्ट पूरा होगा, कुल लागत 5435 करोड़ रु.

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