रायपुर. बस्तर के धुर नक्सली इलाके में राेजगार के फार्मूले पुलिस भी तैयार करेगी। नक्सल क्षेत्र की एक-एक व्यवहारिक दिक्कतों को सबसे करीब से जानने वाले अफसर इसकी रणनीति बनाएंगे। वे सरकार को बताएंगे कि वहां कौन-सा रोजगार सफल हो सकता है। दिल्ली में सोमवार को नक्सल प्रभावित राज्यों की बैठक होगी। इस बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल होंगे। इसके पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ में पुलिस विभाग के अिधकारियोंं से नक्सल इलाके में रोजगार के अवसर तलाशने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से पुलिस के आला अफसर सोमवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और सुरक्षा के सलाहकार अजीत डोभाल के सामने भी जरूरत पड़ने पर प्रेजेंटेशन देंगे।
राज्य में सत्ता और केंद्र में गृहमंत्री बदलने के बाद पहली बार नक्सल मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की आयोजित की जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ डीजीपी डीएम अवस्थी उपस्थित रहेंगे। अब तक होती रही बैठक पूरी तरह से समीक्षात्मक ट्रैक पर ही चलती रही है। पुलिस की ओर से रिपोर्ट दी जाती रही है कि उनके पास कितनी फोर्स है और अब तक कितने ऑपरेशन चलाए गए, जिनमें कितनी सफलता मिली? सफलता का प्रतिशत कितना बढ़ा या घटा? इस बार गृहमंत्री शाह होने के कारण बैठक में समीक्षात्मक ट्रेंड के अलावा भी एजेंडे होने के संकेत हैं। इसी वजह से ऑपरेशन की रणनीति के अलावा बेरोजगारों के लिए रोजगार का फार्मूला बनाया जा रहा है ताकि उन्हें नक्सलियों से दूर रखा जा सके।
नक्सल उन्मूलन राशि की 40 फीसदी कटौती वाली राशि मांगेंगे मुख्यमंत्री : केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नक्सल उन्मूलन के लिए काटी जा रही 40 फीसदी राशि को फिर से बजट में शामिल करने की मांग करेंगे। वे शाह को यह भी बताएंगे कि सरकार नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई तो लड़ ही रही है साथ ही इस समस्या से निपटने के लिए स्थानीय रोजगार भी पैदा किए जा रहे हैं।
दरअसल भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह पर शुरू से हमलावर रहे सीएम भूपेश बघेल पहली बार उनके सामने होंगे। गृहमंत्री शाह द्वारा बुलाई गई नक्सल पीड़ित राज्यों की बैठक सीएम बघेल भी शामिल होंगे। बैठक में शामिल होने के लिए बघेल रविवार दोपहर दिल्ली रवाना हुए। दिल्ली जाने से पहले मीडिया से चर्चा में बघेल ने कहा कि नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ सीधी लड़ाई लड़ रहा है, इसके बाद भी नक्सल उन्नमूलन के नाम पर केंद्र से मिलने वाली राशि को घटा दिया गया है। जबकि यूपीए सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार को सौ फीसदी राशि दी जाती थी। लेकिन मोदी सरकार ने इसे घटाकर 60-40 फीसदी की हिस्सेदारी कर दी है।
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