नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को रेडियो कार्यक्रम मन की बात में संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश ही नहीं विदेशों में भी जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया। भारत से दो मोहन का नाता रहा है- एक सुदर्शन चक्रधारी (भगवान श्रीकृष्ण), तो दूसरे चरखाधारी (महात्मा गांधी)। दूसरी बार सरकार बनने के बाद मोदी का यह तीसरा कार्यक्रम है।
‘2 अक्टूबर को नए युग का जन्म हुआ’
नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘श्रीकृष्ण जगत गुरु के रूप में जाने जाते हैं। इस बार मैं बात कर रहा हूं महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के बारे में। 2 अक्टूबर को एक नए युग का जन्म हुआ था। उनसे सेवा भाव की बात हमेशा जुड़ी रही। उन्होंने साउथ अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव से प्रभावित लोगों की सेवा की। किसानों, मजदूरों, कमजोर, भूखे और गरीब लोगों की सेवा की। स्वयं के जीवन में सेवा भाव से उन्होंने उदाहरण स्थापित किया। उन्होंने सेवा के साथ जुड़े आत्मसुख पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया- सेवा परमोधर्म।’’
‘‘मेरा बहुत ही सौभाग्य रहा कि मुझे महात्मा गांधी से जुड़ी बहुत सी जगहों पर जाने का मौका मिला है। हम समाज, सभी वर्गों और सभी महिलाओं और पुरुषों के साथ मिलकर सेवा भाव से समाज के लिए काम करें। अगर हमारी फुटबॉल टीम है, तो हम खेल के साथ गांधी के आदर्शों पर भी चलें। किताबें और ज्ञान बांटें। सेवा की कोई सीमा नहीं है। जहां जैसा मौका मिले हमें सेवा करनी चाहिए। कुछ महीनों पहले में गुजरात में दांडी गया था। वहां मैंने महात्मा गांधी को समर्पित एक म्यूजियम का उद्घाटन किया था। मेरा आपसे आग्रह है कि आप आने वाले साल में महात्मा गांधी से जुड़े किसी भी स्थान पर घूमने जाएं। वहां अपनी फोटो लें और सोशल मीडिया पर शेयर करें। गांधी जी के आदर्शों को भी शेयर करें।’’
‘अब प्लास्टिक रोकने की बारी’
प्रधानमंत्री ने कहा- पिछले कुछ सालों से 2 अक्टूबर से दो हफ्ते पहले हम स्वच्छता अभियान चलाते थे। इस बार यह 11 अक्टूबर से शुरू होगा। इस बार प्लास्टिक पर ज्यादा जोर देना है। मैंने लाल किले से कहा था कि हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के चलन को खत्म करना है। कई दुकानदारों ने लिखा है कि ग्राहक अपना थैला लेकर आएं। यह अच्छी मुहिम है। इस बार हम 2 अक्टूबर से प्लास्टिक के खिलाफ एक नए आंदोलन की नींव रखेंगे। मैं सभी से अपील करता हूं कि इस साल हम 2 अक्टूबर एक विशेष दिन के तौर पर मनाएं और हर जगह स्वच्छता का संदेश दें। मैं नगर निगम और कार्पोरेट से भी अपील करता हूं कि प्लास्टिक के रिसाइकल पर जोर दिया जाए। आज गांधी से बड़ी कोई प्रेरणा नहीं है।
‘‘हमारी संस्कृति में लिखा गया है कि पृथ्वी में जल, अन्न और सुभाषित तीन रत्न हैं। मूर्ख लोग पत्थर को रत्न कहते हैं, जबकि अन्न सही मायने में रत्न हैं। पोषण अभियान के तहत आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से जन आंदोलन बनाया जा रहा है। आज लोग कुपोषण से बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। पुणे में आंगनबाड़ी महिलाएं किसानों से एक मुठ्ठी अन्न दान में मांगती हैं। यह उनका एक आंदोलन है। इससे सभी लोग इससे जुड़ जाते हैं।’’
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