Monday, 9th June 2025

दिल्ली / संत रविदास मंदिर को ध्वस्त करने के विरोध में हिंसक प्रदर्शन, भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर हिरासत में

Fri, Aug 23, 2019 12:22 AM

 

  • डीडीए ने 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के तुगलकाबाद में सदियों पुराने गुरु रविदास मंदिर को ध्वस्त कर दिया था
  • दक्षिण-पूर्व दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने कहा- प्रदर्शन कर रहे लोग पुलिसकर्मियों से भिड़े, 50 लोग हिरासत में

Dainik Bhaskar

Aug 22, 2019, 11:16 AM IST

नई दिल्ली. संत रविदास मंदिर को धवस्त किए जाने के खिलाफ दलितों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बुधवार को प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। इसके लिए पुलिस ने भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के साथ 50 लोगों को हिरासत में ले लिया। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के तुगलकाबाद में सदियों पुराने गुरु रविदास मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

दक्षिण-पूर्व दिल्ली के डीसीपी चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि मंदिर गिराए जाने पर प्रदर्शन कर रहे लोग बुधवार शाम पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। घटना में कुछ जवानों को चोटें लगीं। कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया। हिरासत में लिए गए लोगों में से एक के पास पिस्तौल मिली है। हथियार लाइसेंसी लग रहा है, लेकिन हम इसकी जांच कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, हिंसक प्रदर्शनकारियों ने कुछ वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और दो मोटरसाइकिलों को आग भी लगा दी। 

प्रदर्शन में शामिल होने देश भर से दलित पहुंचे

मंदिर तोड़ने के खिलाफ प्रदर्शन में भीम आर्मी समेत आप और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। प्रदर्शन में तकरीबन 15 हजार लोग जुटे। प्रदर्शन ने तब हिंसक रूप ले लिया, जब भीड़ ने तुगलकाबाद में उस जगह जाने की कोशिश की, जहां से मंदिर को हटाया गया था। इससे पहले देश के विभिन्न राज्यों से हजारों दलित बसों और ट्रेनों से प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में अंबेडकर भवन से लेकर रामलीला मैदान तक मार्च किया।

मायावती ने विरोध जताया

कुछ दिनों पहले बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा था कि दिल्ली के तुगलकाबाद क्षेत्र में बना संत रविदास मंदिर केंद्र व दिल्ली सरकार की मिली-भगत से गिरवाए जाने का बसपा ने सख्त विरोध किया। इससे इनकी आज भी हमारे संतों के प्रति हीन व जातिवादी मानसिकता साफ झलकती है।

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