Monday, 9th June 2025

स्मृति शेष / भाजपा के पहले ऐसे नेता जो मध्यप्रदेश विधानसभा में लगातार 10 बार जीतकर पहुंचे

Thu, Aug 22, 2019 2:00 AM

 

  • यूपी के प्रतापगढ़ में हुआ था जन्म, मध्यप्रदेश को बनाया था कर्मस्थली
  • राजनीति में आने से पहले भोपाल की कपड़ा मिल में मजदूरी की थी

 

भोपाल। राजधानी के सबसे लोकप्रिय नेता बाबूलाल गौर का निधन हो गया है। गौर का जन्म 2 जून 1930 को उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। वे भाजपा के एक अकेले नेता रहे जिन्होंने मध्यप्रदेश विधानसभा के लगातार 10 चुनाव जीते। 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक वे मप्र के मुख्यमंत्री रहे। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा फिर सत्ता में आई और उन्हें मंत्री बनाया गया।

बढ़ती उम्र का हवाला देकर पार्टी ने उनसे इस्तीफा ले लिया था। इस घटना के बाद गौर काफी दुखी हुए थे। राजनीति में आने से पहले बाबूलाल गौर ने भोपाल की कपड़ा मिल में मजदूरी की थी। श्रमिकों के हित में अनेक आंदोलनों में भाग लिया था। वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य हैं। 1974 में मध्य प्रदेश शासन द्वारा बाबूलाल गौर को 'गोआ मुक्ति आंदोलन' में शामिल होने के कारण 'स्वतंत्रता संग्राम सेनानी' का सम्मान प्रदान किया गया था।

 

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बीए और एलएलबी पास गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे। 1977  में भी गौर यहीं से चुनाव जीते। उन्होंने 1980 में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और 2013 तक लगातार आठ बार विधानसभा चुनाव जीतते रहे। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उनकी जगह उनकी पुत्रवधु कृष्णा गौर को गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया, जहां से वह विजयी हुईं। वे 4 सितंबर 2002 से 7 दिसंबर 2003 तक मध्य प्रदेश विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे।

वामपंथी पार्टी से शुरू किया था राजनैतिक सफर
बाबूलाल गौर ने अपना राजनैतिक जीवन वामपंथी पार्टी से शुरू किया था। पार्टी का मजदूर संगठन अक्सर मिल में हड़ताल कर देता था, जिससे रोजाना के हिसाब से तनख्वाह कट जाती थी। कुछ समय तक ऐसा चला। देखा तो हर महीने 10 से 15 रुपए तनख्वाह हड़ताल के कारण ही कट जाती थी, इससे मजदूरों को काफी नुकसान होता था। इस पर गौर ने लाल झंडा छोड़कर कांग्रेस का संगठन इंटक ज्वाइन कर लिया, लेकिन वहां भी मजदूर हित में काम नहीं होते देखा तो संघ का भारतीय मजदूर संघ ज्वाइन किया।

जेपी ने दिया जीवन भर जनप्रतिनिधि बने रहने का आशीर्वाद
गौर को 1971 में जनसंघ ने पहली बार भोपाल से विधानसभा का टिकट दिया। वे करीब 16 हजार वोटों से चुनाव हार गए। इसके बाद जेपी का आंदोलन देशभर में शुरू हुआ। भोपाल में हुए आंदोलन में गौर शामिल हुए। फिर विधानसभा चुनाव आए तो जेपी ने जनसंघ के नेताओं से कहा कि यदि बाबूलाल गौर को निर्दलीय खड़ा किया जाएगा तो वे उनका सपोर्ट करेंगे। उस समय जनसंघ के संगठन महामंत्री कुशाभाऊ ठाकरे थे। उन्होंने इसकी अनुमति दी। गौर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। कुछ समय बाद जेपी भोपाल आए तो गौर ने उनके सर्वोदय संगठन को 1500 रुपए का चंदा दिया। जेपी ने उन्हें जीवन भर जनप्रतिनिधि बने रहने का आशीर्वाद दिया था।

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