Monday, 9th June 2025

स्मृति शेष / बाबूलाल गौर 30 साल से लिख रहे थे डायरी; इसे राजनीतिक एफआईआर कहते थे

Thu, Aug 22, 2019 1:58 AM

 

  • 1990 की पटवा सरकार में पहली बार गौर को नगरीय कल्याण व स्थानीय मंत्री बने, तभी से लिख रहे थे डायरी
  • विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड 10 बार अपराजेय रहे थे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर

 

भोपाल.  'सुबह जब उठा तो मेरा बांया हाथ काम नहीं कर रहा था, शायद करवट लेते समय ये हाथ नीचे दबा रह गया होगा..मुझे बेहोशी की हालत में आईसीयू में भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टरों ने मेरी देखभाल की...।'  ये पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की डायरी के आखिरी कुछ शब्द हैं। इस डायरी में वह अपनी दिनभर की हर खास और आम बात को दर्ज करते थे। उनके निधन के बाद डायरी लिखना भले थम जाएगा, लेकिन उनके शब्द राजनीतिक दस्तावेज के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गए हैं।

बाबूलाल गौर करीब 30 साल से लगातार डायरी लिखते रहे। इसे वह 'राजनीतिक एफआईआर' का नाम देते थे। 2018 विधानसभा चुनावों में गोविंदपुरा से टिकट नहीं मिलने और कांग्रेस नेताओं के साथ उनके मेलजोल पर कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चा चली। इसका जिक्र भी उन्होंने अपनी डायरी में दर्ज किया। ताकि सनद रहे और आने वाली पीढ़ी को सीख मिल सके कि राजनीति में त्याग, एकनिष्टता जीवन पर्यंत निभाना पड़ता है। उन्होंने इसे दर्ज करते हुए लिखा, 'इस उम्र में आकर क्या खाक मुसलमां होंगे।' इसका मतलब था कि वह भाजपा छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले और उनकी निष्ठा आखिरी दम तक कायम रही। 

अंतिम पन्ना 1 जून को लिखा 

गौर ने एक जून 2019 को आखिरी बार डायरी लिखी थी। इसमें लिखा था- मैं सुबह 5 बजे उठा, घूमने गया। इसके बाद उन्हें 2 जून को एक जन्मदिन में जाना था, इसका भी जिक्र किया। दरअसल, उनके लिखे ये आखिरी शब्द दिखाते हैं कि वह अपने क्षेत्र की जनता से कितना जुड़े थे। जन्मदिन पर लोगों के घर जाकर मिलना और लोगों को उनके नाम से पुकारना। उनकी एक खास बात यह भी थी कि वह जल्दी किसी को भूलते नहीं थे। गौर 1974 में हुए उपचुनाव में पहली बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने 10 विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की।

पटवा सरकार में बने थे मंत्री

1990 की पटवा सरकार में उन्हें नगरीय कल्याण व स्थानीय मंत्री बनाया गया। वह तभी से डायरी लिखने लग गए। तब से लेकर अंतिम समय तक के तमाम व्यक्तिगत जीवन के किस्से ही उनकी डायरी के पन्नों में दर्ज है। सिर्फ यही नहीं, वह कब किस-किस से मिले। किसी ने कोई काम बताया है तो वह क्या है? किस व्यक्ति ने उन्हें कहां और किससे मिलने बुलाया है? सब कुछ डायरी में दर्ज मिल जाएगा। गौर इसे अपनी 'राजनीतिक एफआईआर' और जीवन चक्र कहते थे। जिसमें सरकारी कामकाज और राजनीतिक जीवन की पूरी 'फर्स्ट इंर्फोमेशन रिपोर्ट' है।

महात्मा गांधी के निजी सहायक से मिली प्रेरणा

गौर कहते थे कि उन्हें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के निजी सहायक रहे प्यारेलाल से प्रेरणा लेकर डायरी लिखना शुरू किया। प्यारेलाल पूरी दिनचर्या लिखा करते थे। इसे हर राजनीतिक व्यक्ति को करना चाहिए। गृहमंत्री, विधि मंत्री, स्थानीय शासन मंत्री, उद्योग मंत्री और अन्य विभागों में भी रहा। मुख्यमंत्री भी बना, लेकिन ऐसा करना नहीं छोड़ा। जब 24 दिसंबर 2004 को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने जा रहा था, तब भी मैंने सबकुछ लिखा।

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