रायपुर . शासन के नगरीय निकायों से लेकर कलेक्टर स्तर तक के सारे प्रशासनिक अफसरों ने मकानों या परिसर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए सख्त रवैया अपनाया हुअा है। नगर निगम हर नक्शे से इस सिस्टम के लिए न्यूनतम 10 हजार रुपए अनिवार्य रूप से काट रहा है, लेकिन यही अफसर जिन दफ्तरों से अाॅपरेट कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर में खुद ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगवा सके हैं। भास्कर टीम ने राजधानी के ही सरकारी दफ्तरों का सर्वे किया तो खुलासा हुअा कि करीब 124 से ज्यादा बड़े-छोटे सरकारी भवनों में से 68 में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ही नहीं हैं।
पिछले तीन महीने से प्रशासनिक स्तर पर इन दफ्तरों के प्रमुखों को सिस्टम लगाने की चिट्ठियां भेजी जा रही हैं। लगभग अाधा मानसून बीत गया है, लेकिन इस साल भी सारी चिट्ठियां केवल फाइलों में ही घूम रही हैं। हालात ये हैं कि राजधानी का विशाल नया सर्किट हाउस, एस्ट्रो टर्फ वाले अंतरराष्ट्रीय हाॅकी स्टेडियम, पीडब्ल्यूडी के कई दफ्तर और दर्जनभर थानों से लेकर विधानसभा जैसे परिसर में अध्यक्ष के अावासीय कार्यालय, सेंट्रल हाॅल और अाॅडिटोरियम में ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाए जा सके हैं।
ये खानापूर्ति है कि लापरवाही... नगर निगम की तरफ से राजधानी के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल त्रिमूर्ति नगर में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है, जिसमें बारिश के दौरान छत का पानी पाइप के जरिए बहकर बेकार हो रहा है। निगम की तरफ से पाइप का सिस्टम तो लगाया गया है लेकिन पानी को स्टोर करने के लिए टैंक ही नहीं बनाया गया। उसे लेकर निगम अधिकारियों ने कहा कि सिस्टम लगा दिया है, अब अाप लोग जमीन में स्टोर टैंक या वाटर रिचार्ज टैंक लगा लो।
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