विदिशा/रायसेन। मैं विदिशा से चुनाव लड़ूं या ना लड़ूं, लेकिन मैं हमेशा विदिशा वालों की बनी रहूंगी। विदिशा वासियों से मेरा पारिवारिक लगाव रहा है। यह बात तत्कालीन विदेश मंत्री एवं स्थानीय सांसद सुषमा स्वराज ने 21 फरवरी को विदिशा में एक कार्यक्रम में कही थी। 21 फरवरी का उनका यह दौरा विदिशा में आखिरी दौरा था इसके बाद में लोकसभा चुनाव के दौरान वर्तमान सांसद रमाकांत भार्गव के नामांकन पत्र जमा कराने के लिए रायसेन जिला मुख्यालय आईं थी।
उन्होंने अपने 10 साल के कार्यकाल में विदिशा का नाम विदेशों तक पहुंचाया। पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में विदिशा की आवाज संद में बुलंद करती रही। जब साल 2014 में विदेश मंत्री बनीं तो विदिशा की आवाज विदेशों तक पहुंचाने लगी थीं। वे मर् 2009 से लेकर मई 2019 तक दस साल विदिशा रायसेन संसदीय क्षेत्र की सांसद रही।
श्रीमती स्वराज के निधन के बाद पूरे देश के साथ विदिशा रायसेन संसदीय क्षेत्र में शोक की लहर है। चुनाव प्रचार में उनके साथ काम कर चुके लोग निधन की खबर सुन स्तब्ध हैं। भाजपा नेता सुखप्रीत कौर ने बताया कि वे दुनिया भर की राजनीति के साथ किचन तक का पूरा ध्यान रखतीं थी। कई बीर वह बताती थी कि आज मैंने खिचड़ी खाई है लेकिन कुकर थोड़ा जल्दी खुल गया, इससे कुछ गड़बड़ हो गई। वे टाइम मैनेजमेंट का विशेष ध्यान रखती थी। हमेशा अपने पास टॉर्च, पानी की बोतल, पर्स और जरूरी दवाइयां साथ रखती थीं। वे जब कभी मन की बात नहीं होती थी तो नाखुशई भी जाहिर करती थीं। कार्यकर्ताओं का ध्यान रखती थीं।
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