Monday, 9th June 2025

मप्र / 40 बाघों के मूवमेंट वाले रातापानी अभयारण्य से मात्र 1.3 किलोमीटर दूर बनेगा भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे

Wed, Jul 31, 2019 3:39 PM

शैलेंद्र चौहान | भोपाल . मध्यप्रदेश को 13 वर्ष के इंतजार के बाद वापस टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। राज्य सरकार ने रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन बाघों से बहार की राह में भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट रोड़ा बन सकता है। एक्सप्रेस वे रातापानी अभयारण्य से केवल 1.3 किलोमीटर दूरी से गुजरेगा। सरकार को बाघों के मूवमेंट वाले इलाके की वजह से नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) से मंजूरी लेना पड़ेगी। राज्य सरकार ने भोपाल-इंदौर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का सर्वे पूरा कर लिया है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद 146.88 किमी लंबे एक्सप्रेस का काम शुरू होगा। 

 एमपीआरडीसी ने पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) रिपोर्ट तैयार की है। इसके मुताबिक एक्सप्रेस वे 20 किलोमीटर जंगल से गुजरेगा। एक्सप्रेस वे तीन अभ्यारण्य के नजदीक गुजरने से नेश्नल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ से अनुमति लेना पड़ेगी। ये अभ्यारण्य रातापानी, खिवनी और वन विहार है। 

पेंच-कान्हा जैसा रास्ता निकालना पड़ेगा... एक्सप्रेस वे के लिए सरकार को वाइल्ड लाइफ की मंजूरी मिलने पर एनएच- 7 की तरह रास्ता निकालना पड़ सकता है। यहां पेंच नेश्नल पार्क से कान्हा नेश्नल पार्क के बीच टाइगर कॉरिडोर होने की वजह से सड़क को 10 साल मंजूरी नहीं मिली थी। वन्य जीवों के सड़क पार कराने के लिए 3.5 किलोमीटर हिस्से में 14 ऐनिमल अंडर पास बनाए गए है। पानी निकासी के लिए 58 कलवर्ट(पुलिया) में 18ऐनिमल क्रासिंग कलवर्ट है। पांच मीटर उंचे एेनिमल अंडर पास के उपर हिस्से से वाहन निकलते है। 

वन विभाग बाघों को बचाने के लिए टाइगर रिजर्व बनाने का कर चुका ऐेलान, ऐसा होने से कोर एरिया बढ़  जाएगा

बड़ी चुनौती... 50 से ज्यादा बाघ-तेंदुओं के मूवमेंट पर असर

रातापानी अभयारण्य  : यहां 40 बाघ है। एक्सप्रेस-वे के अलाइनमेंट में 13.7 किलोमीटर से 15.3 किमी के समीप रातपानी अभयारण्य का पशु गलियारा होगा। इस इलाके में 30 से ज्यादा बाघों का मूवमेंट बन रहता है। एक्सप्रेस-वे बनने पर बाघों के मूवमेंट पर असर पड़ेगा। वन विभाग के प्रस्ताव में यह कोर एरिया में आ रहा है।

खिवनी अभयारण्य प्रोजेक्ट के 71.8 किमी सड़क का हिस्सा पशु गलियारे के नजदीक होगा। एक्सप्रेस-वे करीब यहां से 6 किमी दूर से निकल रहा है। दोनों अभयारण्य प्रोजेक्ट के 10 किलोमीटर के दायरे में आने की वजह से सरकार को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ से मंजूरी लेना होगी।

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