Sunday, 25th May 2025

छत्तीसगढ़ / फोन पर कहा- ‘तलाक, तलाक, तलाक’ और कर ली दूसरी शादी; भरण-पोषण मांगने महिला आयोग पहुंची पीड़ित

Sat, Jul 27, 2019 4:45 PM

दुर्ग . महिला को फोन पर तीन दफा तलाक बोलकर उसका परित्याग करने वाला मामला भी राज्य महिला आयोग की सुनवाई में पहुुंचा। हालांकि महिला आयोग से अपने भरण-पोषण के लिए आयोग के समक्ष उपस्थित हुई थी। लेकिन इस तरह की व्यवस्था कोर्ट के माध्यम से होने की वजह से आयोग ने उसे न्यायालय की शरण में जाने की सलाह दी। शुक्रवार को राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष अनिला भेडिया समेत सदस्य ममता साहू और खिलेश्वरी किरण दुर्ग के प्रकरणों की सुनवाई के लिए जिला पंचायत के सभागार में पहुंची। सुनवाई के दौरान महिला ने आयोग को बताया कि उसको तलाक देने के बाद पति ने दूसरी शादी भी कर ली।

इसके चलते उसने आयोग में शिकायत की। इस पर पुलिस के माध्यम से उसके पति के खिलाफ थाने में दहेज प्रताड़ना का मामला पंजीबद्ध हो गया। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान महिला ने आयोग से पति द्वारा उसके भरण-पोषण की व्यवस्था करने की गुहार लगाई। लेकिन इस तरह की व्यवस्था कोर्ट के माध्यम से होने के चलते सदस्यों ने उसे कोर्ट में आवेदन करने की सलाह दी। 

दूसरी महिला के लिए पहली पत्नी को दिया फोन पर तलाक : आयोग सदस्यों को अपनी पीड़ा बताते हुए महिला ने बताया कि उसके पति का गैर महिला से संबंध था। इसके चलते उसने फोन पर ही तीन दफा तलाक-तलाक-तलाक बोलकर उसका त्याग कर दिया। जब वो उससे अलग रहने लगी। उसने महिला आयोग में शिकायत की। इस पर मामला महिला थाने पहुंचा। लेकिन इसी बीच आरोपी पति ने दूसरी शादी कर ली। अब उसे अपने गुजर-बसर के लिए पति द्वार भरण-पोषण के लिए आयोग से गुहार लगाई। 

दुर्ग कोर्ट की पूर्व महिलाकर्मी ने सहकर्मी पर प्रताड़ना लगाया का आरोप : पद्नाभपुर निवासी पक्षकार ने बताया कि वो दुर्ग न्यायालय में क्लर्क के पद पर कार्यरत थी। सीनियर क्लर्क हमेशा काम लेकर प्रताड़ित करता था। पिछले साल इसी मुद्दे को लेकर काम दौरान दोनों के बीच तीखी बहस हुई। उस दौरान कर्मचारी ने उसे वीआरएस का फॉर्म थमा दिया। गुस्से में उस पर साइन कर दिया। घटना के अगले दिन से उन्हें छुट्टी पर जाना था। वापस आने पर क्लर्क ने न्यायिक अधिकारियों से ऊंची पहुंचा का लाभ उठाकर उसका वीआरएस मंजूर करा दिया।

कोर्ट में है मामला इसलिए आयोग ने नहीं दिया दखल  : महिला का कहना है कि इस तरह की प्रक्रिया को पूरा करने में कम से कम 90 दिनों का समय लगता है। लेकिन उसके छुट्टी पर जाते ही पूरी फार्मेलिटी को पूरा कर लिया गया। इसके चलते आयोग में कंपलेन की, उस पर न्यायालय ने प्रकरण की विभागीय समिति से जांच शुरू करा दी। इसके अलावा कोर्ट में मामला दाखिल कर दिया। इसके चलते सुनवाई के दौरान सदस्यों ने न्यायालय जाने की पीड़िता को सलाह दी। 

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