अशोकनगर. अशोकनगर जिला अस्पताल का शव वाहन 15 जुलाई से खराब पड़ा है। इसे ठीक कराने में अस्पताल प्रबंधन की दिलचस्पी नहीं है। इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। मंगलवार को पठार मोहल्ला निवासी पूजा पत्नी नरेन्द्र ओझा की मौत के बाद परिजनों ने शव वाहन के लिए फोन लगाया तो मौके पर नगर पालिका की कचरा भरने वाली ट्रैक्टर-ट्रॉली पहुंच गई। परिजन इस ट्रॉली में ही शव रखकर पीएम के लिए जिला अस्पताल ला रहे थे लेकिन ओवरब्रिज पर पहिए की बेयरिंग टूटने से यह वहीं धरा रह गया। इस घटना पर सीएम कमलनाथ ने नाराजगी जताते हुए ट्वीट किया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।
इसके बाद ड्राइवर ने फोन लगाया तो नगर पालिका का डंपर वहां आ गया। ओवरब्रिज पर ही शव को ट्रैक्टर ट्रॉली से निकालकर डंपर में चढ़ाया गया, तक यह पीएम के लिए जिला अस्पताल पहुंच सका। पीएम होने के बाद शव को किराए के वाहन से ले जाना पड़ा।
शव वाहन सुधरवाने में 13 हजार का खर्च, हर माह 17500 का व्यर्थ भुगतान : सिविल सर्जन के लिए बोलेरो अटैच है। दो माह से सीएमएचओ डाॅ. जेआर त्रिवेदिया के पास सिविल सर्जन का प्रभार है। इनके पास अलग वाहन है। दो माह से दोनों प्रभार होने के बाद भी एक वाहन का व्यर्थ 17500 रुपए हर माह भुगतान किया जा रहा है। जबकि शव वाहन सुधरवाने का खर्च सिर्फ 13 हजार रुपए है।
दान में मिली एम्बुलेंस भी बेकार : अस्पताल को स्टेट बैंक ने एक एम्बुलेंस दान में दी थी लेकिन यह 8 माह से गैरेज पर खड़ी है। इसकी रिपेयरिंग में 35 हजार रुपए का खर्च आया है। इसे 8 माह से गैरेज से नहीं उठाया जा रहा है। जबकि, अस्पताल प्रबंधन एम्बुलेंस ड्राइवर को लाखों का वेतन दे चुका है।
वाहन सुधरवाने के निर्देश दे दिए थे
मैंने दो दिन पहले ही शव वाहन सुधरवाने के निर्देश दे दिए थे। एम्बुलेंस का भुगतान करने के निर्देश भी दे दिए हैं। एक व्यक्ति पर दो प्रभार होने की वजह से व्यवस्थाओं में चूक हो रही है। फुल फ्लेज्ड सिविल सर्जन पदस्थ कराने के लिए शासन को पत्र लिखा है।' - मंजू शर्मा, कलेक्टर, अशोकनगर
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