भोपाल | प्रदेश सरकार का 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपए का बजट रविवार देर रात पारित हो गया। इससे ठीक पहले भाजपा ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित को विधानसभा में श्रद्धांजलि देने के मुद्दे पर सदन से वॉक आउट किया। इसे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा किसी भी फ्लोर टेस्ट से बचना चाहती है, इसलिए वह सदन से बाहर चली गई।
रविवार को विधानसभा के बिजनेस में सभी विभागों की चर्चा के बाद बजट पारित होना स्पष्ट था। नाथ ने कहा कि सुबह ही अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति में तय हुआ था कि सोमवार को सदन में शोक प्रस्ताव लाया जाएगा। मुझे आश्चर्य है कि जब इस संबंध में सुबह चर्चा हो चुकी थी, तब इस विषय को बजट चर्चा के दौरान उठाने के पीछे प्रतिपक्ष की मंशा क्या थी। बहरहाल, देर रात तक चले पॉलिटिकल ड्रामे के बाद अंतत: 11 विभागों की मांगों को बगैर चर्चा (गिलोटिन) करते हुए बजट पारित कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ है कि रविवार को विधानसभा चली।
ऐसे घटा घटनाक्रम : सदन में रात पौने दस बजे के करीब नवकरणीय ऊर्जा विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा चल रही थी, उसी दौरान पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि दिल्ली की 15 साल तक मुख्यमंत्री रही स्वर्गीय शीला दीक्षित को सदन में श्रद्धांजलि दी जाए। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि सोमवार को कार्यसूची में विधिवत इसे लेंगे।
विपक्ष का आरोप था कि जिस नेता ने दिल्ली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया उसे सत्तापक्ष श्रद्धांजलि देने में क्यों देरी कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन से बाहर मीडिया से चर्चा में कहा कि जब शीला दीक्षित का अंतिम संस्कार हो चुका है तब हमे सदन की तरफ से श्रद्धांजलि देना चाहिए लेकिन कांग्रेस टाल मटोल करती रही। श्रद्धांजलि कार्यसूची का विषय नहीं होती है। हम लोग निष्पक्ष रूप से उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहते थे, लेकिन हमे अनुमति नहीं मिली।
श्रद्धांजलि के लिए कांग्रेस के पास पांच मिनट नहीं
स्व. शीला दीक्षित को हम निष्पक्ष श्रद्धांजलि देना चाहते थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई। मैंने सदन में यह मांग रखी थी। कांग्रेस टाल-मटोल कर रही थी। इससे साफ होता है कि कांग्रेस की उनके नेता के प्रति कितनी श्रद्धा है। 25 मिनट कांग्रेस हंगामा कर सकती है लेकिन श्रद्धांजलि के लिए 5 मिनट उसके पास नहीं है। इस स्थिति में भाजपा के सभी 108 विधायकों ने उन्हें सदन से बाहर श्रद्धांजलि दी।
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