जावरा/भोपाल. खुद को मुख्यमंत्री का सचिव और पत्नी को सीएम दफ्तर की क्लर्क बताकर भोपाल के निलंबित लेक्चरर ने आठ बेरोजगारों से 5.5 लाख रुपए ऐंठ लिए। आरोपियों ने इस जालसाजी में शामिल अपने एक साथी को भोपाल डीआईजी का पीए और दूसरे को सब इंस्पेक्टर बताकर बेरोजगारों को झांसे में लिया था। जावरा की सिटी थाना पुलिस ने इनमें से तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि महिला की तलाश जारी है। सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर चारों ने जावरा, मंदसौर, रतलाम और नागदा के बेरोजगारों से रकम ऐंठी थी। पकड़े गए दो आरोपी भोपाल के और एक इंदौर का रहने वाला है।
सीएसपी अगम जैन ने बताया कि इस संबंध में जावरा निवासी सालिग्राम धाकड़ समेत आठ लोगों ने सिटी थाना पुलिस से शिकायत की थी। सरकारी नौकरी का झांसा देकर भोपाल और इंदौर के चार लोगों ने दो साल पहले 5.5 लाख रुपए ऐंठ लिए हैं। रकम लेने के बाद भी न नौकरी मिली और न ही रकम लौटा रहे हैं। इस आधार पर पुलिस ने इंद्रपुरी निवासी पूनम चंद उर्फ पीसी बांधेवाल, उसकी पत्नी आशा, खानूगांव निवासी सुरेश उर्फ डॉ. रणजीत सिंह और राजेंद्र नगर, इंदौर निवासी गोपाल परिहार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया। एक सूचना के बाद पुलिस ने गुरुवार सुबह उज्जैन से पीसी बांधेवाल, डॉ. रणजीत सिंह और गोपाल परिहार को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में आशा की गिरफ्तारी होनी बाकी है।
भोपाल डीआईजी का पीए बनकर वारदात
बांधेवाल भोपाल के एक स्कूल का निलंबित लेक्चरर है। उसने खुद को सीएम सचिव, पत्नी को सीएम दफ्तर की क्लर्क, सुरेश को भोपाल डीआईजी का पीए और गोपाल को सब इंस्पेक्टर बताया था। आरोपियों ने सालिगराम से एक लाख और दिलीप, इमरान, दिनेश, नीलेश व विनोद से 75-75 हजार जबकि शादाब, मुकेश से 50-50 हजार रुपए ऐंठ लिए।
तीन लाख में तय था सौदा
गोपाल इस जालसाजी में बिचौलिया था। काम के सिलसिले में उसका जावरा आना-जाना लगा रहता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात जावरा स्थित एक्स-रे पैथालॉजी सेंटर पर काम करने वाले सालिगराम से हुई। गोपाल ने सालिगराम को सरकारी नौकरी का झांसा दिया। ऐसे ही अन्य बेरोजगारों को भी झांसे में लिया और सभी से तीन-तीन लाख रुपए में सौदा तय कर लिया।
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