बिलासपुर. अटल यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों से शपथ पत्र लेकर उनके पोर्टल तो एडमिशन के लिए खोल दिए हैं। इसके बावजूद अभी तक कॉलेजों की ओर से शपथ पत्र देने के बाद भी नियम के अनुसार प्राचार्य, शिक्षक की नियुक्ति और लैब, लाइब्रेरी बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। अब ऐसे में यहां एडमिशन लेने वाले छात्र बिना पढ़े परीक्षा देंगे। वहीं यूनिवर्सिटी के अधिकारी कॉलेजों पर कार्रवाई की बजाय अब छात्रहित की बात कर रहे हैं। जबकि ऐसे 10 हजार छात्रों को वैसे ही नुकसान हो रहा है।
एयू से संबद्ध 180 कॉलेज में लगभग 2 लाख छात्र अध्ययनरत हैं। फिर भी यूनिवर्सिटी ने बिना यूजीसी, उच्च शिक्षा विभाग के नियमों के अनुसार 27 कॉलेजों को मान्यता दे दी है। जिन कॉलेजों के पास लैब, लाइब्रेरी, जमीन तक नहीं थी, उसे यूनिवर्सिटी की जांच कमेटी ने ओके रिपोर्ट देकर मान्यता दे दी। इसके बाद उसे सुधारने की बजाय उन कॉलेजों को गलतियां करने का मौका दे रही है। हर साल यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को प्राचार्य की भर्ती, लैब, लाइब्रेरी, खेल मैदान और शिक्षक रखने का नोटिस जारी करती है। इस बार यूनिवर्सिटी ने शपथ पत्र लेकर कॉलेजों को पोर्टल खोल दिया है। फिर भी कॉलेज नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
कॉलेजों के यूजीसी के नियम के अनुसार दस्तावेज चेक करने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। पहले कमेटी को बीएड कॉलेजों के दस्तावेज चेक करने हैं। कमेटी की एक सदस्य एक दिन यूनिवर्सिटी पहुंचीं और कोरम पूरा कर चली गईं। वह दस्तावेज जांच करने तक नहीं पहुंच रही हैं।
तीन महीने के बाद होगी कार्रवाई
यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉ. सुधीर शर्मा ने कहा कि शपथ पत्र में कॉलेजों को 3 महीने का समय दिया गया है। इसके बाद कॉलेजों पर कार्रवाई करेंगे, लेकिन उसके बाद अगर कॉलेज पर बड़ी कार्रवाई करते हैं तो छात्रों का नुकसान हो जाएगा।
जहां अनुशासन नहीं छात्र क्या पढ़ेगा? : सीयू के पूर्व कुलपति डॉ. एमएस खोखर ने कहा कि प्राचार्य कॉलेज एकेडमिक गतिविधियां और अनुशासन रखता है। शिक्षक, लाइब्रेरी और लैब शिक्षा के हार्ट हैं। अगर ये हैं ही नहीं तो छात्र क्या पढ़ेगा?
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