Monday, 9th June 2025

मप्र / बहन की ननद कहीं दुष्कर्म का आरोप न लगा दे, इसलिए लिंग बदलकर देवेंद्र से देविका बनी

Mon, Jul 8, 2019 4:05 PM

  • भोपाल के बिजनेसमैन ने बहन की दांपत्य जिंदगी को बचाने के लिए ट्रांसजेंडर बनने का फैसला लिया
  • देवेंद्र ने बहन की ज्यादती की शिकायत पुलिस में की तो उसकी ननद ने उस पर दुष्कर्म का केस करने की धमकी दी

भोपाल (वंदना श्राेती). शादी के बाद बहन की पारिवारिक जिंदगी तबाह न हो जाए, इसलिए भाई ने अपना लिंग परिवर्तन करवा लिया और फीमेल ट्रांसजेंडर बन गया। दरअसल, देवेंद्र से देविका बनने की कहानी मार्मिक है। देवेंद्र को बहन की ननद ने धमकी दी थी, यदि उसकी बहन ने उनके परिवार के खिलाफ थाने में दहेज प्रताड़ना का केस लगाया, तो वह उसके (देवेंद्र) के खिलाफ ज्यादती का केस दर्ज करा देगी। यह धमकी उसने कई बार दी। इससे डरकर देवेंद्र ट्रांसजेंडर बन गया।

इस बात की जानकारी तब हुई, जब मामला विधिक सेवा प्राधिकरण में पहुंचा। हालांकि, यहां बहन को कानूनी सहायता दी गई, जिसकी वजह से उसका विधिवत तलाक हो गया। लिंग परिवर्तन करवाने से पहले देवेंद्र बिजनेस करता था। देवेंद्र के मुताबिक, उसकी बहन की शादी 20 मई 2016 को हुई थी। उस समय तक वह एक सामान्य पुरुष की तरह ही रहता था। बहन की शादी के बाद ससुराल वालों ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। बहन के दांपत्य जीवन को बचाने के लिए उसने कई प्रयास किए, लेकिन बात नहीं बनी। 

ज्यादती की शिकायत करने से डर गया था 

  • देवेंद्र ने पुलिस में शिकायत की, तो बहन की ननद और सास ने मिलकर साजिश की। ननद उल्टे ज्यादती की शिकायत करने थाने पहुंच गई, जिससे वह डर गया। इसके बाद नवंबर 2017 में अपना लिंग बदलवा लिया और महिला के रूप में रहने लगा।
  • देवेंद्र इतना संवेदनशील था कि परिजनाें काे परेशानी न हाे इसके लिए घर भी छाेड़ दिया और किन्नरों की टोली के साथ रहने लगा। उसका कहना है कि उसने अपनी इकलाैती बहन की दूसरी जगह शादी कर दी है। वह तीन भाई, एक बहन है। वह घर का सबसे बड़ा लड़का था। अब वह ट्रांसजेंडर के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है।

कोर्ट में मेडिकल के दस्तावेज भी पेश किए थे : भोपाल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव न्यायधीश आशुतोष मिश्रा का कहना है कि बहन की खातिर ट्रांसजेंडर बनने वाले युवक ने अपने मेडिकल दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। लिंग परिवर्तन का फैसला उसका अपना फैसला था, तो हमने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया। चूंकि एक ट्रांसजेंडर अपनी बहन की समस्या लेकर उनके पास आया था, इसलिए उसकी मदद करना उनका फर्ज था।

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