नई दिल्ली. देशभर की अदालतों में करीब साढ़े तीन करोड़ केस लंबित हैं। इन मामलों को निपटाने के लिए 2373 अतिरिक्त जजों की जरूरत है। यह बात संसद में गुरुवार को पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में सामने आई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश सर्वेक्षण के मुताबिक, कुल मामलों में 87.5% मामले जिला और निचली अदालतों में हैं। इसलिए इस क्षेत्र में सुधार के लिए सबसे ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। इससे कानूनी प्रणाली में अपेक्षाकृत कम निवेश से आर्थिक प्रगति की बड़ी बाधा हटाई जा सकती है।
उप्र, बिहार, ओडिशा और प. बंगाल में विशेष ध्यान देने की जरूरत
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि निचली अदालतों में 2279 जज, हाईकोर्ट में 93 जज और सुप्रीम कोर्ट में एक जज की नियुक्ति से लगभग सभी लंबित मामले निपटाए जा सकते हैं। इसमें कार्यकुशलता और विभिन्न स्तरों पर जजों की नियुक्ति की जरूरत होगी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि इन राज्यों में केस निपटान की दर कम है।
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