रायपुर . मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के केरोसिन आबंटन में की गई कटौती को वापस लेने की मांग की है। बघेल ने प्रतिवर्ष 1.53 लाख किलोलीटर केरोसिन का आबंटन देने का आग्रह किया है। ताकि इससे राज्य के गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों को राशन दुकानों से आवश्यकता अनुसार केरोसिन प्रदान किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि पूर्व में भी मेरे द्वारा 26 मार्च 2019 को पत्र लिखकर आपसे आग्रह किया था कि छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के क्रियान्वयन के उपरांत पीडीएस केरोसिन के आबंटन में कटौती की गई। एलपीजी सिलेण्डर की अधिक दर होने एवं राज्य में एलपीजी की द्वारा प्रदाय की सुविधा सीमित होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी वार्षिक रिफिलिंग दर नगण्य है। इस कारण राज्य के वार्षिक केरोसिन आबंटन को 1.1 लाख किलोलीटर से बढ़ाकर 1.58 किलोलीटर करने का अनुरोध किया गया था।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ की स्थिति और यहां केरोसिन की अधिक कटौती को देखते हुए प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि सिंगल सिलेंडर कनेक्शन वाले राशन कार्डधारी को पीडीएस केरोसिन हेतु अपात्र नहीं माना जाए। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य जहां एलपीजी की कवरेज राष्ट्रीय औसत तथा अन्य राज्यों की तुलना में कम है, वहां राज्य सरकार के प्रस्ताव के अनुसार केरोसिन का आबंटन निर्धारित किया जाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के पीडीएस केरोसिन के आबंटन में वृद्धि के बजाए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 के द्वितीय तिमाही हेतु भारत सरकार द्वारा जारी आबंटन में प्रदेश के केरोसिन कोटा में 10 हजार 884 किलोलीटर अर्थात 38 प्रतिशत की कमी की गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि एलपीजी कवरेज को आधार मानकर वर्तमान वित्तीय वर्ष के द्वितीय तिमाही में राज्यवार जारी केरोसिन के आबंटन में भी विसंगतियां हैं।
द्वितीय तिमाही हेतु राज्यों में पीडीएस के केरोसिन में 27 प्रतिशत की कटौती की गई है जबकि राष्ट्रीय औसत से 11 प्रतिशत अधिक अर्थात 38 प्रतिशत कटौती छत्तीसगढ़ में की गई।
सीएम ने अन्य राज्यों से की तुलना : सीएम ने लिखा कि पश्चिम बंगाल एवं तमिलनाडु में एलपीजी का कवरेज क्रमशः 94 प्रतिशत एवं 99 प्रतिशत होने के बावजूद यहां शून्य एवं 33 प्रतिशत कटौती की गई है। गुजरात, बिहार एवं उड़ीसा में ही एलपीली का कवरेज छत्तीसगढ़ के समकक्ष होने के बावजूद इनकी तुलना में छत्तीसगढ़ के केरोसिन आबंटन में कटौती काफी अधिक की गई है।
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