भोपाल . प्रदेश कैबिनेट ने बुधवार को जनता से जुड़े चार बड़े फैसले लिए। इनमें शराब बेचने के लिए ‘बार लाइसेंस’ की नई व्यवस्था, 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण मंजूर हुआ तो भोपाल मेट्रो रेल की पहली लाइन की डेडलाइन तय कर दी गई। साथ ही लिंचिंग की घटनाओं को अपराध के दायरे में लाते हुए इसके अपराधियों को तीन साल तक की सजा के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी गई। शराब लाइसेंस की नई व्यवस्था पर करीब छह मंत्रियों ने सवाल उठाए। उनका तर्क था कि कहीं इस फैसले से शराब माफिया फिर मजबूत न हो जाएं। हालांकि सरकार ने मंत्रियों के सवालों को विचार में लिया है।
1. बार की नई व्यवस्था
सरकारी गोदाम से भी शराब खरीद सकेंगे, 7 दिन में ऑनलाइन आवेदन पर लाइसेंस : होटल व रिसोर्ट बार लाइसेंस की नई व्यवस्था के तहत लाइसेंस की 10 प्रतिशत ज्यादा राशि जमा करने पर जंगल में एसी तंबू, होटल के लॉन और हर मंजिल पर शराब बेचने की अनुमति मिल जाएगी। अभी रिसोर्ट की लाइसेंस फीस 2.50 लाख और होटल की 9 लाख रुपए है। इस राशि में 10 फीसदी अतिरिक्त जमा करने पर अनुमति मिलेगी। हालांकि शर्त यह है कि रिसोर्ट वैट व जीएसटी में रजिस्टर्ड हो। नया लाइसेंस लेने के बाद सरकारी गोदाम से भी शराब खरीद सकेंगे। बार लाइसेंस के लिए डायनिंग एरिया एक ही तल पर न्यूनतम 1500 वर्गफीट होना आवश्यक है। 7 दिन में ऑनलाइन आवेदन पर लाइसेंस मिल जाएगा। इस अवधि में प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो ऑटोमेटिक लाइसेंस रिन्यू माना जाएगा।
सरकार का तर्क : वाणिज्यिक कर मंत्री ब्रजेंद्र सिंह राठौर बाेले- अभी भी जंगल और होटल के लॉन व रिसोर्ट में खुलेआम शराब बिक रही थी। इससे राजस्व का नुकसान हो रहा था। हमने इसे वैध किया है, ताकि पर्यटन व सरकार की आय बढ़े।
नई बार लाइसेंस की नीति में मंत्रियों ने उठाए सवाल
पीसी शर्मा : अभी यह प्रावधान है कि किसी क्षेत्र में यदि 50 फीसदी से ज्यादा महिलाएं शराब की नई दुकान का विरोध करती हैं तो उन्हें बंद किया जाता है, क्या नई व्यवस्था में भी इसका पालन होगा। महिलाओं के विरोध करने पर क्या शराब की दुकानें बंद होंगी।
जीतू पटवारी : नए रिसोर्ट के लाइसेेंस युवाओं को दिए जाएं। इससे बेरोजोगार युवाओं को रोजगार मिल सकेंगे और एक स्टार्ट अप भी शुरू हो सकेगा। कहीं ऐसा न हो जो पुराना शराब माफिया है, दोबारा उसके हाथ में पूरा कारोबार चला जाए।
ओमकार सिंह मरकाम : राष्ट्रीय उद्यान जनजातीय बहुल आबादी क्षेत्रों में है। नए लाइसेंस दिए जाने में आरक्षण व्यवस्था लागू होना चाहिए, जिससे एससी-एसटी के युवाओं को मौका मिल सकेगा और वह रिसोर्ट खोलकर अपना काम शुरू कर सकेंगे और उन्हें स्थायी रोजगार भी मिल जाएगा।
सुरेंद्र सिंह हनी बघेल : पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिन रिसोर्ट को सरकार संचालित कर रही है, उनकी लाइसेंस फीस घटा देना चाहिए। इस पर वाणिज्यिक कर विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने कहा कि दो तरह की लाइसेंस फीस होने पर निजी संचालक इसका विरोध कर सकते हैं।
प्रद्यमुन सिंह तोमर : जो लोग ढाबा संचालित कर रहे हैं उन्हें भी शराब बेचने का लाइसेंस देना चाहिए। यह देखने में आया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे ढाबों पर अवैध शराब बिक रही है। इससे सरकार की आय भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री कमलनाथ : मंत्री लिखित में अपने सुझाव दें, जिनका परीक्षण कर उसे नई व्यवस्था में शामिल कर लिया जाएगा।
यह भी नई बार लाइसेंस व्यवस्था में
2. सवर्ण आरक्षण
10% आरक्षण लेने के लिए सरकार ने तय किए मानक, विस में आएगा बिल : कैबिनेट में बुधवार को सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने का अनुमोदन कर दिया। सरकार इसे पारित कराने के लिए विधानसभा के मानसून सत्र में लाएगी। बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के ऐसे लोगों को आरक्षण दिया जाएगा, जिनकी सभी स्रोतों से सालाना आय 8 लाख रुपए से ज्यादा न हो। उनके स्वामित्व में 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि न हो। इसमें बंजर, बीहड़ और पथरीली जमीन शामिल नही हैं। नगर निगम क्षेत्र में 1200 वर्गफीट मकान, नगर पालिका क्षेत्र में 1500 वर्गफीट और नगर पंचायत क्षेत्र में 1800 वर्गफीट से ज्यादा का मकान न हो। ग्रामीण क्षेत्र में यह सीमा नहीं रहेगी।
3. चार साल बाद मेट्रो
वर्ष 2023 में शुरू हो जाएगी पहली मेट्रो लाइन, ड्राफ्ट को मिली मंजूरी : कैबिनेट में भोपाल तथा इंदौर में मेट्रो रेल के होने वाले एमओयू के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी। मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा है कि दोनों शहरों में 2023 में पहली लाइन शुरू कर दी जाएगी। दोनों शहरों में मेट्रो रेल के लिए होने वाले एमओयू में केंद्र शासन, राज्य शासन एवं मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कम्पनी लिमिटेड भागीदार होगी। शासन से मुख्य सचिव तथा मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर करार करेंगे। भोपाल में 28 किमी मेट्रो के लिए 6900 करोड़ और इंदौर में 31 किलोमीटर क्षेत्र में 7500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
4. माॅब लिंचिंग
6 महीने से 3 साल तक की सजा का प्रावधान : प्रदेश में माॅब लिंचिंग के प्रकरणों में 6 माह से 3 साल तक की सजा का प्रावधान किया जा रहा है। मध्यप्रदेश गो वंश वध प्रतिबंध (संशोधन) विधेयक 2019 का कैबिनेट ने अनुमोदन कर दिया, जिसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। विधेयक के अनुसार जिस स्थान से गो वंश का हस्तांतरण होना है, उस स्थान का एसडीएम गोवंश हस्तांतरण का सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिसमें गंतव्य तक के स्थान का नाम होगा।
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