Monday, 9th June 2025

ऐलान / मालदीव से संपर्क बढ़ाने पर जोर: पहली बार कोच्चि से माले तक यात्री जहाज चलाने को मंजूरी

Sun, Jun 9, 2019 5:39 PM

 

  • कोच्चि से माले की दूरी 700 किमी, कुल्हूधूफुशी एटॉल से होकर मालदीव की राजधानी पहुंचेगा शिप
  • दो दिन के मालदीव दौरे पर गए थे मोदी, विदेशी प्रतिनिधियों को दिए जाने वाले सबसे बड़े सम्मान निशान इज्जुद्दीन से नवाजे गए

माले. भारत और मालदीव के बीच पहली बार एक यात्री और मालवाहक जहाज चलाने पर सहमति बनी है। यह शिप केरल के कोच्चि से मालदीव की राजधानी माले तक (कुल्हूधूफुशी एटॉल होकर) आएगा। बताया गया है कि इससे न केवल दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे बल्कि पर्यटन भी बढ़ेगा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को मालदीव के दो दिन के दौरे पर पहुंचे थे। इसी दौरान नौका चलाने के लिए भारत और मालदीव ने नौका चलाने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए। कोच्चि और माले के बीच की दूरी 700 किमी है जबकि कोच्चि से कुल्हूधूफुशी के बीच की दूरी 500 किमी है।

   

नौका चलाने को लेकर मोदी ने जताई खुशी
मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने शनिवार को अफसरों को दोनों देशों के बीच जहाज सेवा शुरू करने की दिशा में काम आगे बढ़ाने के लिए कहा। मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के बीच नौका सेवा शुरू किए जाने से काफी खुश हूं। विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि मोदी और सोलिह के बातचीत के दौरान इस सेवा पर चर्चा हुई थी। उन्होंने यह भी बताया कि यह पहली बार है कि भारत से मालदीव की राजधानी तक यात्री-मालवाहक शिप चलाया जाएगा।

मोदी को निशान इज्जुद्दीन से नवाजा गया
दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी पहली विदेश यात्रा पर शनिवार को मालदीव पहुंचे। राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने मोदी को निशान इज्जुद्दीन से सम्मानित किया। यह विदेशी प्रतिनिधियों को दिया जाने वाला मालदीव का सबसे बड़ा सम्मान है। मोदी ने मालदीव की संसद मजलिस को भी संबोधित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद की स्टेट स्पॉन्सरशिप सबसे बड़ा खतरा है। लोग अभी भी गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म का भेद करने की गलती कर रहे हैं। पानी अब सर से ऊपर निकल रहा है। आतंकवाद की चुनौती से भली प्रकार से निपटने के लिए सभी मानवतावादी शक्तियों का एकजुट होना जरूरी है। इससे निपटना विश्व के नेतृत्व की सबसे बड़ी चुनौती है जिस तरह विश्व समुदाय ने पर्यावरण के खतरे पर विश्वव्यापी सम्मेलन किए, वैसे आतंकवाद के विषय में क्यों नहीं हो सकते।''

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