भोपाल. कैबिनेट ने सोमवार को नई रेत नीति को मंजूरी दे दी है। इसके तहत रेत खदानों की नीलामी के अधिकार पंचायतों से वापस लेकर राज्य खनिज निगम को दे दिए गए हैं। रेत नीति में परिवर्तन की वजह राजस्व में घाटा और अवैध रेत उत्खनन के मामलों में बढ़ोतरी होना बताया जा रहा है।
पंचायतों को अधिकार दिए जाने के बाद सरकार की रेत से आय सिर्फ 69 करोड़ रुपए रह गई थी। नई व्यवस्था से यह बढ़कर 900 करोड़ रुपए हो जाएगी।जो 2018-19 में घटकर 69 करोड़ रुपए ही रह गया था। नई रेत नीति में खदानों का समूह बनाकर उनकी नीलामी राज्य खनिज निगम आॅनलाइन करेगा।
बिजली का भी मुद्दा उठा
सिलावट बोले- बढ़े हुए बिलों से लोग परेशान : बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने बिजली के बढ़े हुए बिलों से हो रही परेशानी का मामला उठाया। इस पर ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि जिला स्तर पर बढ़े हुए बिजली बिलों के निराकरण के लिए एक समिति गठित की जाएगी। यह समिति तत्काल बढ़े हुए बिजली बिलों का निराकरण करेगी।
नई रेत नीति पर श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा और जनजातीय मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने आपत्ति जताई। इनका कहना था कि इससे रेत महंगी हो जाएगी। आपत्ति पर सीएम ने खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल से जवाब देने को कहा। जायसवाल ने कहा कि रेत महंगी नहीं होगी। विभिन्न नदियों में 30% नई खदानें चिह्नित की गई हैं। इसकी रिपोर्ट कलेक्टरों से मांगी गई है।
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