वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर मंडराते खतरे विषय पर वैज्ञानिक गौहर रजा बोले
इंदौर . हमारे प्रधानमंत्री ने इंडियन साइंस कांग्रेस में कहा कि गणेशजी प्लास्टिक सर्जरी का उदाहरण है। और कर्ण स्टेम सेल की ईजाद थे। दुनियां की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी का प्रधानमंत्री ऐसी बात करे तो सोचिए क्या होगा। अमेरिका, नीदरलेंड और जर्मनी जैसे देश ईवीएम को खारिज कर वापस बैलेट पेपर की तरफ लौट रहे हैं। 2011 में मिशिगन के साइंटिस्ट ने 90 सेकंड में ईवीएम को टैंपर करने का दावा किया था। लेकिन हमारा चुनाव आयोग ईवीएम को सही बताने पर अड़ा हुआ है, मानो जैसे यह जादू की मशीन हो। सरकार का कहना है कि ईवीएम में लगी चिप अमेरिका और जापान से मंगवाई जा रही है, जबकि आरटीआई में जानकारी मिली कि चिप नीदरलेंड में बनी है। ईवीएम तो चोरों की क्षमता बढ़ाने वाली मशीन है। किसी भी देश के हैकर कुछ भी कर सकते हैं।
यह बात कवि एवं वैज्ञानिक गौहर रजा ने अभ्यास मंडल की 60वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला के तीसरे दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर मंडराते खतरे विषय पर कही। हालांकि रविवार की तरह वक्ता की बात पर श्रोताओं ने सोमवार को अपनी राय के विपरीत बताते हुए रजा से सवाल किया कि ईवीएम से बैलेट पेपर पर लौटना कौनसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। जब चुनाव आयोग ने तीन दिन दिए थे, तब आपको वहां जाकर ईवीएम को गलत साबित करना था। आप तो वैज्ञानिक भी है। हकीकत यह है कि ईवीएम पर सवाल उठाने वाले कोई भी राजनीतिक दल, संस्थाएं और व्यक्ति वहां नहीं गया। हालांकि रजा ने इससे पहले यह भी कहा कि आज आईआईटी जैसे संस्थानों में गलत कोर्स दाखिल किए जा रहे हैं, जिसे सूडो साइंस कहा जाता है। डारविन की थ्योरी उन्हें गलत लगती है। उनकी नजर में रॉकेट, मिसाइल, सेटेलाइट, एटम बम सब भारत में पहले से ही मौजूद थे वाली सोच ज्यादा सही है।
आजकल नेहरू को छोटा बताने की होड़ लगी है : जवाहरलाल नेहरु की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में वैज्ञानिक दृष्टिकोण झलकता है, क्योंकि वह यूरोप से विज्ञान को समझ कर भारत लौटे थे। नेहरू के साथ वैज्ञानिक, साहित्यकार, कलाकार सभी खड़े थे। नेहरू का नजरिया सबको साथ लेकर चलने वाला था। लेकिन आजकल नेहरू को छोटा बताने की होड़ लगी है। समझ में नही आता कि नेहरु को छोटा बताकर सरदार पटेल को कैसे बड़ा समझा जा सकता है।
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