भोपाल। गुना से कांग्रेस सांसद सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया की इस चुनाव में हालत पतली नजर आ रही है। इभी तक के रुझानों में वे भाजपा उम्मीदवार केपी यादव से करीब 90 हजार मतों से पीछे चल रहे हैं। एग्जिट पोल में भी इस सीट को भाजपा के खाते में बताया जा रहा है। हालांकि अभी रुझान शुरुआती है, नतीजे घोषित नहीं हुए हैं। अगर ज्योतिरादित्य चुनाव हार जाते हैं तो वे सिंधिया राजवंश के पहले ऐसे सदस्य होंगे जो चुनाव हारे। इसकी वजह भी है क्योंकि इस राजवंश कोई सदस्य गुना और ग्वालियर संसदीय सीट से चुना नहीं हारा है। अगर परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं भी लड़ा तो जीता वहीं है. जिसे सिंधिया राजवंश ने चाहा।
सिंधिया रियासत के भारत में विलय के बाद यहां राजमाता विजयराजे सिंधिया कांग्रेस में शामिल हो गईं। इंदिरा गांधी से पटरी नहीं बैठ पाने के कारण वे जनसंघ में शामिल हो गईं। समय के साथ सिंधिया परिवार राजनीतिक रूप से बंट गया। उनके बेटे माधवराव सिंधिया भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए।
यहां की राजनीति पर राजवंश भारी: गुना-शिवपुरी और ग्वालियर इन दो लोकसभा क्षेत्रों की राजनीति सिंधिया राजवंश के इर्द-गिर्द घूमती रही है। राजमाता विजियाराजे सिंधिया उनके पुत्र माधवराव सिंधिया और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया इसके केंद्र है रहे हैं। यहां कहा जाता है कि पार्टी कोई भी हो जितेगा वही जिसके नाम के पीछे सिंधिया लिखा होगा। सिंधिया घराने की राजनीतिक मैदान में उतर चुनाव लड़ने की शुरुआत भी गुना से ही हुई। राजमाता विजियाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने जीवन का पहला चुवान यहीं से लड़ा।
पार्टी बदलकर चुनाव लड़ता रहा है सिंधिया परिवार
गुना लोकसभा क्षेत्र से सन 1957 में यहां हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सिंधिया राजघराने की महारानी विजिया राजे ने पहला चुनाव लड़ा। 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया ने भी पहला चुनाव यहीं से जनसंघ के टिकट पर लड़ा और जीता। माधवराव के निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने जीवन के राजनीतिक करियर की शुरुआत 2002 में हुए उपचुनाव में यहीं से की। पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है।
स्वतंत्रता पार्टी से लड़ीं विजयाराजे
1957 में विजयाराजे सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और हिंदू महासभा के विष्णूपंत देशपांडे को शिकस्त दी। 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया जनसंघ के टिकट पर जीत हासिल की। 1977 के चुनाव में वह यहां से निर्दलीय लड़े और 80 हजार वोटों से भारतीय लोकदल के गुरुबख्स सिंह को हराया। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से जीते। इसके बाद 1984 में माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर से चुनाव लड़ा। 1989 में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और जीत दर्ज की । विजियाराजे के निधन के बाद माधवराव सिंधिया यहां से चुनाव लड़े और जीते।
माधवराव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया
2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लड़े। ज्योतिरादित्य 2002 से 2014 के बीच हुए सभी लोकसभा चुनाव में जीते।
दोनों लोकसभा क्षेत्रों से कब-कब जीता सिंधिया परिवार का सदस्य
गुना : 1957 विजयाराजे सिंधिया(कांग्रेस), 1967 विजयाराजे सिंधिया(स्वतंत्रता पार्टी), 1971 माधवराव सिंधिया(जनसंघ), 1977 माधवराव सिंधिया(निर्दलीय), 1980 माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 1989 से 1998 तक विजयाराजे सिंधिया(भाजपा), 1999 माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 2004 से 2014 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया(कांग्रेस)
ग्वालियर : 1962 विजियाराजे सिंधिया(कांग्रेस), 1984 से 1998 तक माधवराव सिंधिया(कांग्रेस), 2009 यशोधरा राजे सिंधिया(भाजपा)
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