Saturday, 24th May 2025

असर / मसूद की आतंकी गतिविधियों के बारे में चीन को और सबूत सौंपे गए थे: सूत्र

Sat, May 4, 2019 4:39 PM

 

  • ब्रिटेन-फ्रांस और यूएस के प्रस्ताव पर चीन द्वारा रोक हटाने के बाद यूएन ने मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया
  • चीन का कहना है कि उसने दोबारा सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर तकनीकी रोक हटाने का फैसला किया  

नई दिल्ली. जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए उसकी आतंकी गतिविधियों के बारे में चीन को और सबूत सौंपे गए थे। राजनयिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में नया प्रस्ताव लाने के बाद चीन को ये सबूत सौंपे गए थे। मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका के प्रस्ताव से चीन ने तकनीकी रोक हटा दी थी। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा समिति ने मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया था।

सबूतों में पुलवामा हमले का जिक्र था या नहीं यह स्पष्ट नहीं

  1.  

    चीन का कहना था कि उसने दोबारा सौंपे गए दस्तावेजों के आधार पर प्रस्ताव से तकनीकी रोक हटाने का फैसला किया है। हालांकि, सूत्रों ने यह साफ नहीं किया है कि चीन को सौंपे गए सबूतों में पुलवामा हमले का जिक्र है या अजहर की अन्य गतिविधियों का।

     

  2.  

    यूएन द्वारा मसूद पर बैन लगाने की अधिसूचना में भी पुलवामा हमले का कोई संदर्भ नहीं है। 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना की बालाकोट में एयरस्ट्राइक के असर पर सूत्र ने कहा कि इस पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है।

     

  3.  

    पुलवामा हमले के बाद ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका सुरक्षा परिषद में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव लाए थे। इस प्रस्ताव को 21 देशों ने समर्थन दिया था। प्रस्ताव पेश करने के साथ ही फ्रांस ने अपने देश में मसूद की संपत्तियां जब्त करने का फैसला भी लिया था।

     

  4.  

    चीन ने 13 मार्च को इस प्रस्ताव को तकनीकी कारण बताकर रोका था। इससे पहले चीन 3 बार भारत की कोशिशों पर अड़ंगा लगा चुका था। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।

     

  5.  

    तकनीकी रोक पर चीन का कहना था कि उसे अजहर के आतंकी गतिविधियों में शामिल होेने संबंधी पर्याप्त सबूत नहीं मिले। हालांकि, उसे और सबूत मिलने के बाद उसने यह रोक हटा ली।

     

  6. अजहर के खिलाफ पहले भी तीन बार लाए गए प्रस्ताव

     

    2009 में अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए भारत पहली बार प्रस्ताव लाया था। इसके बाद 2016 में भारत अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की मदद से यह प्रस्ताव लाया था। इसके बाद 2017 में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाए थे। लेकिन हर बार चीन ने बीटो पावर का इस्तेमाल कर इस पर रोक लगा दी।

     

  7.  

    सुरक्षा परिषद में अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थायी सदस्य हैं। इनके अलावा 10 अस्थाई सदस्य हैं। किसी को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सभी स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इस सूची में नाम आने के बाद वह व्यक्ति वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है। दुनियाभर में उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकती हैं। उसके यात्रा करने और उसे हथियार मुहैया कराने पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

     

  8. भारत में कई हमलों का जिम्मेदार है मसूद

     

    मसूद अजहर भारत में कई आतंकी हमलों को साजिश रचने के साथ उन्हें अंजाम दे चुका है। इसी साल 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था। इसकी जिम्मेदारी भी मसूद के संगठन जैश ने ली थी। मसूद 2001 में संसद पर हुए हमले का भी दोषी है। इस दौरान नौ सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी। इसके अलावा जनवरी 2016 में जैश के आतंकियों ने पंजाब के पठानकोट एयरबेस और इसी साल सितंबर में उरी में सेना के हेडक्वॉर्टर पर हमला किया था।

     

  9. कंधार विमान अपहरण के बाद मसूद को भारत ने छोड़ा था

     

    1994 में मसूद अजहर पुर्तगाल के पासपोर्ट पर बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुआ था। इसके बाद वो कश्मीर पहुंचा। अनंतनाग से उसे फरवरी 1994 में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, 1999 में कंधार विमान अपहरण के बाद यात्रियों की सलामती के ऐवज में मसूद अजहर को तत्कालीन भाजपा सरकार ने छोड़ दिया था।

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