Sunday, 8th June 2025

दमोह ग्राउंड रिपोर्ट / 30 साल पुराने गढ़ में भाजपा को भितरघात का खतरा; कांग्रेस कास्ट कॉम्बिनेशन संभाल ले तो बदलाव संभव

Sat, May 4, 2019 4:26 PM

 

  • दो दिन पहले पथरिया में राहुल गांधी की सभा होने से कांग्रेसी जोश में
  • भाजपा के परंपरागत लोधी-कुर्मी वोट में सेंध लग सकती है, आदिवासियों के हाथ में होगी जीत की चाबी
  • भार्गव-प्रह्लाद की खींचतान की चर्चा भी, लेकिन मोदी फैक्टर से भाजपा को चार सीटों पर बढ़त की उम्मीद

दमोह (अनिल गुप्ता). तीस साल से भाजपा का गढ़ दमोह लोकसभा सीट के बक्सवाह में पार्षद हल्लू साहू मौजूदा सांसद प्रहलाद पटेल के क्षेत्र में नहीं आने से खासे नाराज हैं, लेकिन जोर देकर यह भी कहते हैं कि ‘मोदी है तो देश है।’ रियो टिंटो के हीरा तलाशी प्रोजेक्ट के कारण बक्सवाहा क्षेत्र प्रदेश के साथ-साथ देश में प्रख्यात हो चुका है। अभी यहां महुआ का कारोबार तेजी से हो रहा है, लेकिन रेट नहीं है। बकस्वाहा बड़ा मलेहरा विधानसभा में आता है और यह सीट हाल ही के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में गई थी।

कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मुन्ना भैया) ने भाजपा सरकार में मंत्री रहीं ललिता यादव को हराया था।  दमोह संसदीय सीट में आठ विधानसभ्ा सीटें हैं। इनमें कांग्रेस पिछले विस चुनाव में बेहतर कास्ट कॉम्बिनेशन के कारण चार पर जीत दर्ज कर चुकी है, जबकि भाजपा तीन और एक पर बसपा काबिज है। दमोह विधानसभा सीट पर ही नए चेहरे राहुल सिंह ने भाजपा के कद्दावर नेता व पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया को हराया। अब राहुल फिर सक्रिय हैं। दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पथरिया में सभा के बाद से क्षेत्र में सक्रियता बढ़ी है।

बड़ा मुद्दा : महुआ के कारोबार में तेजी, लेकिन सही भाव नहीं मिलने से किसान थोड़ा मायूस

समीकरण : कुसमरिया, रामबाई के कांग्रेस में जाने से वोट बंटने का डर

प्रहलाद पटेल अटल सरकार में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन 2014 में दमोह सांसद चुने जाने के बाद भाजपा के भीतर उनकी प्रतिद्वंद्विता बढ़ी है। यही मुश्किल उन्हें चुनौती दे रही है। कुर्मी व पटेलों के बड़े नेता दमोह के मामले में अलग मत रखते हैं। चार बार सांसद और शिवराज सरकार में मंत्री रहे रामकृष्ण कुसमरिया कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। पथरिया से बसपा विधायक रामबाई भी कांग्रेस के साथ हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और प्रहलाद पटेल के बीच की खींचतान छिपी नहीं है। स्थानीय नेताओं की मानें तो मलैया भी खुश नहीं हैं। साफ है कि सागर की जो तीन विस सीटें देवरी, रेहली और बंडा दमोह लोकसभा में आती हैं, इसमें से रेहली ही भाजपा के खाते में है। यहां से भार्गव विधायक हैं। इस खींचतान का लाभ लेने के दावे कांग्रेसी कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी प्रताप सिंह दमोह के स्थानीय नेता हैं। 

8 विधानसभा सीटें : चार पर कांग्रेस, तीन पर भाजपा और एक पर बसपा

दमोह जिला : चार विधानसभा सीटें-दमोह, पथरिया, जबेरा और हटा में जबेरा व हटा ही भाजपा के पास हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जहां प्रत्याशी बदला वहां जीत मिली। जहां रिपीट किए वो सीटें हार गई। इसमें दमोह और पथरिया शामिल हैं। 
छतरपुर जिला : एक सीट -बड़ा मलहरा - भाजपा ने 2013 में विधायक चुनी गईं रेखा यादव का टिकट काटकर इसी समाज की व पूर्व मंत्री ललिता यादव को मैदान में उतारा था, लेकिन वे हार गईं। रेखा अब भी नाराज बताई जा रही हैं। 
सागर जिला : तीन सीटें-देवरी, रेहली और बंडा में सिर्फ रेहली पर भाजपा का कब्जा है। देवरी से जीते कांग्रेस के हर्ष यादव को कमलनाथ ने कैबिनेट मंत्री बनाया है। इससे देवरी के साथ सागर की तीनों सीटों पर कांग्रेस का प्रभाव बढ़ा है।  

दमोह सीट का लेखा-जोखा-

  • तीस साल से भाजपा का गढ़ है यह सीट। वर्ष 1989 में भाजपा के लोकेंद्र सिंह ने कांग्रेस के डालचंद जैन को हराया था।  
  • इसके बाद 1991 में भाजपा से डाॅ. रामकृष्ण कुसमरिया सांसद चुने गए और लगातार चार बार सांसद रहे। मोदी लहर में प्रहलाद पटेल 2014 का चुनाव सर्वाधिक मतों दो लाख 13 हजार 299 वोटों से जीते। यह आजादी के बाद सबसे ज्यादा मतों की जीत है। सबसे कम वोटों 13 हजार 719 की जीत कुसमरिया को ही 1999 में मिली थी। 
     

जातिगत समीकरण-

जाति प्रतिशत
गौंड 9.6% 
वैश्य-जैन 7%
ब्राह्मण 8.8%
लोधी-कुर्मी 22.4%
यादव 5.7%

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