रायबरेली में भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ पर कब्जे के लिए काफी मेहनत की, लेकिन यहां पर सोनिया गांधी का नाम ही काफी है। सत्ताधारी दल के तमाम नारे सोनिया के आगे फीके पड़ गए हैं। रायबरेली में जातीय समीकरणों का कोई अर्थ नहीं है। यहां पर 9% ठाकुर, 11% ब्राह्मण और 34% पिछड़े हैं। अमेठी में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के किले में कुछ सेंध तो लगाई है पर वे इसे ध्वस्त कर पाएंगी इसमें संदेह है।
मतदान से ठीक पहले नागरिकता का मुद्दा भाजपा का लेटेस्ट हथियार है। अवमानना का मुद्दा राहुल ने भाजपा को खुद ही दे दिया। रायबरेली के बछरांवा में शंखलाल की दुकान पर किसान निरंजन भाजपा राज पर तमतमा उठे। बाेले- रात भर खेतों में गाय भगाते हैं। नोटबंदी की फजीहत भूले नहीं हैं। काश्तकारों का ऐसा हाल कभी नहीं हुआ। सरकारी योजनाएं खास लोगों के लिए हैं।
रायबरेली में भाजपा चुनाव कार्यालय में महेद्रनाथ पांडे और महेश शर्मा की चुनावी सभा के लिए सुशील शर्मा ब्राह्मण बहुल क्षेत्र तय कर रहे हैं। उमा भारती और राजनाथ के बाद अमित शाह की सभा और सनी देओल के रोड शो की तैयारी है। मुख्यमंत्री की चुनावी सभा से लौटे भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप बता रहे हैं कि कांग्रेस ने हमको गुलाम बनाया, लेकिन भाजपा ने रायबरेली को बड़ा सम्मान देने का वादा करके टिकट दिया है। वह स्थानीय होने के लाभ गिनाते हैं और बेटियों की शादी तक में मदद का वादा करते हैं।
सालभर पहले अमित शाह ने दिनेश प्रताप के रूप में सोनिया का सबसे मजबूत सारथी तोड़ तो लिया, लेकिन इंदिरा और राजीव के जमाने की क्षेत्र की सौगातों का जिक्र कर लोग दिनेश की निष्ठा और नीयत पर सवाल भी उठा रहे हैं। 2014 की मोदी लहर में भी 352000 के अंतर से जीती सोनिया का छक्का इस बार कितना ऊंचा होगा यह रायबरेली के 19,85,526 वोटर 6 मई को तय करेंगे। 16 चुनाव और तीन उपचुनावों में सिर्फ तीन बार ही गैर कांग्रेसी यहां से जीत पाए।
संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अमेठी से ही सियासी सफर शुरू किया। गांधी परिवार की इस सीट को हासिल करने के लिए स्मृति ईरानी ने पांच साल में 32 दौरे किए। वह 39 दिन लोगों के बीच रहीं। क्षेत्र के पांच में से चार विधायक भाजपा के हैं, इनमें भी कांग्रेस का एक भी नहीं है। अमेठी के राजा संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह भाजपा की विधायक हैं। उनकी बेटियों और बेटों को लाकर भाजपा ने सियासी चाल भी चली हैं।
परंपरागत सीट पर बढ़त के बावजूद इस बार आम लोगों में भी राहुल को लेकर विभाजन साफ दिख रहा है। अभिनय में माहिर स्मृति अपने भाषणों में इस कला का बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं। वह जनता को अवमानना और नागरिकता के मामले को अपने अंदाज में समझा रही हैं। फुरसतगंज के खाद-बीज व्यापारी बबलू सोनी मोदी राज में किसानों के खुशहाल होने की बात कर रहे हैं। वह 20 हजार मतों से स्मृति की जीत का दावा भी कर देते हैं। बहादुरगढ़ में जनसेवा केंद्र चलाने वाले सत्येंद्र तिवारी राहुल की जीत पक्की मानते हैं। उत्तरप्रदेश के अन्य क्षेत्रों से अमेठी में एक अलग बात यह है कि लोग मोदी के खिलाफ सरेआम और खुल कर बोल रहे हैं।
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