Sunday, 8th June 2025

लोकसभा चुनाव / मुकाबला कांग्रेस की ‘जमीनी पकड़’ व भाजपा के ‘मैनेजमेंट’ के बीच

Wed, May 1, 2019 4:12 PM

 

  • दो जिलों की 8 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है यह सीट, ओबीसी वोटर सबसे ज्यादा और उन्हीं के हाथ जीत की चाबी
  • 26 साल से सागर में जैन विधायक, इस बार किसी जैन को टिकट नहीं

अनिल कर्मा  | सागर . सागर जिले की 5 और विदिशा की 3 विधानसभा सीटों को मिलाकर सागर लोकसभा क्षेत्र बना है। रूठने और मनाने के लंबे सिलसिले के बाद अब यहां चुनावी माहौल दिख रहा है। कांग्रेस करीब महीने भर पहले ही प्रभु सिंह ठाकुर को प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी, जबकि भाजपा ने 17 अप्रैल को कई दावेदारों के बीच से नगर निगम अध्यक्ष राज बहादुर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। दोनों ही प्रत्याशी दांगी ठाकुर हैं। जिसके करीब 1.75 लाख वोटर हैं।


कांग्रेस से निकाले गए राजकुमार यादव ने बसपा का चेहरा बनकर यादव मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश की है। हालांकि दमोह लोकसभा क्षेत्र के बंडा-शाहगढ़ का निवासी होने के कारण सागर में उनकी कोई खास ‘जमीन’ नजर नहीं आती। सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही है। क्षेत्र में फिलहाल कोई मुद्दा नहीं है। न भाजपा के पास, न कांग्रेस के पास। लोकल नेताओं के भाषण में भी सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, काला धन और जीएसटी जैसे मुद्दे ही छाए हुए हैं।


कांग्रेस के प्रभु सिंह हालांकि दिग्विजय सिंह सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं, लेकिन बहुत छोटे (करीब 19 माह) कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि उनके पास बताने के लिए नहीं है। राज बहादुर चार बार से पार्षद हैं। उनके खाते में भी पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का करीबी होने के अलावा कुछ खास नहीं है। इस रोमांच से खाली माहौल में मतदाता मौन है। चर्चा में भी कोई उत्तेजना या अतिरेक नजर नहीं आता। कुल मिलाकर लोकल लेवल पर यह मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी की ‘जमीनी पकड़’ और भाजपा के ‘मैनेजमेंट’ के बीच है।

कड़ी टक्कर... सागर की पांच सीट में से दो विस में कांग्रेस मजबूत, विदिशा जिले की 3 सीटों में से 2 पर भाजपा भारी

सागर मूलतः भाजपा का गढ़- सागर लोकसभा सीट पर पिछले 23 साल से भाजपा काबिज है। 8 में से 7 विधानसभा क्षेत्रों में इस समय भाजपा के ही विधायक हैं। इस आधार पर नया प्रत्याशी होने के बावजूद भाजपा की स्थिति काफी मजबूत दिखती है। दूसरी तरफ, मौजूदा दौर में राज्य में कांग्रेस की सरकार होने और एक कैबिनेट मंत्री (गोविंद सिंह राजपूत) के इस क्षेत्र से होने का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।

सागर जिले की पांच विधानसभा सीटें : 

सागर : 26 साल से भाजपा के पास है, जबकि कांग्रेस गुटबाजी में उलझी हुई है। सबसे ज्यादा करीब 45 हजार वोट अजा वर्ग के हैं। जैन, ब्राह्मण समुदाय के करीब 30-35 हजार वोट हैं। ओबीसी 50 हजार हैं। 
 

सुरखी : परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंदसिंह राजपूत की सीट है। पारुल साहू, लक्ष्मीनारायण यादव और राजेंद्रसिंह मोकलपुर टिकट नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं।


नरयावली : राजबहादुर सिंह का पैतृक गांव रिछावर इसी विस में है। ठाकुर और अन्य समुदाय अब राजबहादुर के प्रचार में शामिल हैं। यहां अन्य पिछड़ा वर्ग के 50 हजार, सवर्णों के 40 हजार वोट हैं। 


खुरई : पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह यहां से विधायक हैं। कुल मिलाकर टक्कर बराबरी की नजर आ रही है। यहां ओबीसी वोटर सबसे ज्यादा हैं।


बीना : यह कांग्रेस प्रत्याशी का गृह नगर है। इसलिए कांग्रेस के पक्ष में सहानुभूति लहर है। यहां विस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी करीब 700 वोट से जीते थे। पार्टी का कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है।

विदिशा जिले की 3 विधानसभा सीटें

सिरोंज : कांग्रेस प्रत्याशी यहां पिछले करीब 10 साल से सक्रिय हैं, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता अभी सक्रिय नहीं दिख रहे। गुटबाजी हावी है। भाजपा प्रत्याशी यहां के लिए बिल्कुल नया है, लेकिन लक्ष्मीकांत शर्मा की क्षेत्र में पैठ उन्हें फायदा पहुंचा सकती है।
 

कुरवाई : कांग्रेस प्रत्याशी का लगातार मजबूत जनसंपर्क रहा है, लेकिन स्थानीय नेता प्रचार से दूर हैं। करीब 40 हजार दांगी मतदाताओं पर भाजपा की पकड़ मजबूत है। इस विधानसभा की 44 पोलिंग बूथ सिरोंज तहसील में हैं, इसलिए लक्ष्मीकांत शर्मा का फायदा यहां भी भाजपा को मिल सकता है।
 

शमशाबाद : यहां बराबरी की टक्कर है। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष मेहताब सिंह यादव की क्षेत्र में मजबूत पकड़ है, जबकि भाजपा विधायक राजश्रीसिंह और पूर्व मंत्री सूर्य प्रकाश मीणा यहां सक्रियता से जनसंपर्क में हैं।

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