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लोकसभा चुनाव 2019 / जो खेल बिगाड़ने की बात करते हैं, वो सारे मिलकर भी दो चुनाव में 5 प्रतिशत भी वोट हासिल नहीं कर पाए

Thu, Apr 25, 2019 7:11 PM

 

  • 2014 आम चुनाव में दोनों दलों के प्रत्याशियों के अलावा मैदान में उतरे आठ प्रत्याशी मिलकर 4.76 प्रतिशत वोट ला पाए
  • 2015 के उपचुनाव में ऐसे 6 प्रत्याशी मिलकर मात्र 3.44 प्रतिशत वोट ही कबाड़ सके

अहद खान, झाबुआ. रतलाम लोकसभा सीट पर कई बार निर्दलीयों या छोटे दलों के प्रत्याशियों ने खड़े होकर बड़े दलों का खेल बिगाड़ने की बातें कहीं। इस बार भी ये दावे किए जा रहे हैं। लेकिन पुराने चुनावों के परिणामों से इन दावों की हैसियत नजर आ जाती है। बीते दो चुनाव से यहां कांग्रेस और भाजपा के अलावा बाकी प्रत्याशियों को मिलकर भी पांच प्रतिशत वोट पूरे नहीं मिले। इन दो दलों के अलावा बाकी सभी की जमानत ही जब्त हो रही है। 

2014 आम चुनाव में दोनों दलों के प्रत्याशियों के अलावा मैदान में उतरे आठ प्रत्याशी मिलकर 4.76 प्रतिशत वोट ला पाए। 2015 के उपचुनाव में ऐसे 6 प्रत्याशी मिलकर मात्र 3.44 प्रतिशत वोट ही कबाड़ सके। 1984 में जबसे भाजपा मैदान में उतरी, तब से लेकर हुए दस चुनाव में से आठ में 85 से लेकर 99 प्रतिशत वोट इन दोनों दलों को मिले। बाकी सारे प्रत्याशियों के कुल वोट से ज्यादा वोट तो नोटा में डले। 


10 साल में एक बार ही बदला गणित 
कांग्रेस और भाजपा को बीते दस चुनाव में से सिर्फ एक में 85 प्रतिशत से कम वोट मिले। अभी तक के चुनावों में सबसे बड़ा खेल साल 1996 के चुनाव में हुआ था। तब कांग्रेस प्रत्याशी दिलीपसिंह भूरिया को हराने के लिए पार्टी के ही विरोधियों ने तैयारी की। तब तिवारी कांग्रेस भी मैदान में थी। भूरिया को हराने 38 निर्दलीय प्रत्याशी उतारे गए। फिर भी वो जीत गए। तीसरे नंबर पर तिवारी कांग्रेस प्रत्याशी रहे। भाजपा दूसरे नंबर पर थी। जनता पार्टी, जनता दल के भी प्रत्याशी थे। बाकी 38 प्रत्याशियों को कुल मिलाकर सिर्फ 8.26 प्रतिशत वोट मिले थे। 


ये सोच कि भाजपा का कोई नहीं था गलत है 
यहां कहा जाता है कि भाजपा को अपनी जड़ें जमाने में दशकों लग गए। आदिवासियों को हमेशा से कांग्रेस का पका-पकाया वोट बैंक माना जाता है। लेकिन शुरुआत से लेकर अब तक के चुनावी आंकड़ों से पता चलता है कि भाजपा का अच्छा खासा असर रहा है। ये कांग्रेस से कम जरूर था, लेकिन साल दर साल बढ़ता रहा। 1984 के चुनाव में भाजपा को 24 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। 2014 में ये आंकड़ा 51.88 प्रतिशत तक जा पहुंचा। इसके पहले जनसंघ की भी पकड़ थी। 1952 में पहले चुनाव से लेकर आगे के तीन चुनाव तक जीती कांग्रेस ही थी, लेकिन जनसंघ दूसरे नंबर रहा। 


1999 में 99 प्रतिशत वोट इन्हीं दो दलों को 
अभी तक हुए चुनावों में इन दो दलों को सबसे ज्यादा वोट मिलने का रिकार्ड साल 1999 के चुनाव में बना। तब मैदान में तीन ही प्रत्याशी थे। कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने भाजपा में नए-नए गए दिलीपसिंह भूरिया को हराया था। दोनों को मिलाकर 98.98 प्रतिशत वोट मिले थे। तीसरे प्रत्याशी अजेय भारत पार्टी के कैलाश भाबर को एक प्रतिशत से कुछ ज्यादा वोट मिले।

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