सुधीर निगम | भोपाल . राजनीतिक दल भले ही महिलाओं के सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करते हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। लोकसभा चुनाव के लिए मप्र में दोनों बड़ी पार्टियों को आधा दर्जन सीटों पर भी महिला प्रत्याशी नहीं मिलीं। कांग्रेस ने मात्र 5 तो भाजपा ने 4 महिलाओं को ही प्रत्याशी बनाया है। ताज्जुब की बात है कि पिछले चुनाव में भी दोनों दलों ने 9 महिलाओं को ही टिकट दिए थे। इस बार शहडोल एकमात्र सीट है, जहां दो महिलाओं में सीधा मुकाबला है। कांग्रेस से प्रमिला सिंह और भाजपा से हिमाद्रि सिंह। मप्र में चार चरणों में लोकसभा चुनाव हैं और अभी नामांकन की प्रक्रिया जारी है। ऐसे में इस बार कितनी महिला प्रत्याशी मैदान में रहेंगी यह आंकड़ा फिलहाल स्पष्ट नहीं है।
2009 में 29 महिला प्रत्याशियों में छह, 2014 में 37 में से पांच ही जीती थीं : 2009 में 29 महिलाएं मैदान में थीं। इनमें से 6 सांसद बनीं। 2014 में 37 ने किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता सिर्फ 5 को ही मिली। इस बार इंदौर से सुमित्रा महाजन, बैतूल से ज्योति धुर्वे, धार से सावित्री ठाकुर का टिकट भाजपा ने काटा है। विदिशा सांसद सुषमा स्वराज ने चुनाव लड़ने से इनकार किया है। सिर्फ सीधी से रीति पाठक को ही रिपीट किया है। वहीं कांग्रेस ने मंदसौर से पिछला चुनाव हारीं मीनाक्षी नटराजन को टिकट दिया है। 2014 के चुनाव में भिंड से इमरती देवी, बालाघाट से हिना कांवरे और शहडोल से राजेश नंदिनी सिंह को उतारा था, जो चुनाव हार गईं थीं।
प्रदेश में 2009 व 1962 में 6-6 महिला सांसद चुनी गईं : अब तक के चुनावों में 2009 और 1962 में सबसे ज्यादा 6-6 महिला सांसद प्रदेश से चुनी गईं, लेकिन इसमें 2009 का प्रतिशत ज्यादा रहा, क्योंकि तब 29 सीटें थीं, जबकि 1962 में 36 सीटें थीं। 2009 में कांग्रेस ने 2 और भाजपा ने 4 महिलाओं को मौका दिया था, सभी चुनाव जीती थीं।
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