गौरव शर्मा | इंदौर . सन् 1999 का लोकसभा चुनाव। इंदौर सीट से भाजपा से सुमित्रा महाजन लगातार पांचवीं बार उम्मीदवार थीं। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री महेश जोशी को चुनाव में उतारा। जोशी भी कद्दावर नेता थे, इसलिए मुकाबला दोनों के बीच काफी कड़ा माना जा रहा था। इसके अलावा दूसरी वजह यह थी कि ठीक सालभर पहले हुए 1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की लीड घटकर 49 हजार के आसपास पहुंच गई थी। लिहाजा, दोनों प्रत्याशियों ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी।
वाजपेयी के जैन संत के साथ फोटो को समाज में घर-घर तक पहुंचाया गया था, दुकानों पर फोटो लगवाया गया
एक दिन कांग्रेस प्रत्याशी जोशी जैन संत आचार्य विद्यासागर महाराज के दर्शन के लिए गोम्मटगिरि पहुंचे। आचार्यश्री के सामने उन्होंने आजीवन चमड़े की वस्तुएं त्यागने का संकल्प ले लिया। समय चुनाव का था। सामाजिक वोटों का समीकरण कहीं चुनाव न बिगाड़ दे, इससे भाजपा चिंता में पड़ गई। थोड़े दिन बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी सभा के लिए इंदौर आए। भाजपा नेताओं के बीच जैन समाज वाला पहलू चल रहा था। उन्होंने अटलजी से यह बात साझा की और उनसे गोम्मटगिरि चलने का आग्रह किया। वाजपेयी को सीधे गोम्मटगिरि ले गए और आचार्यश्री से मुलाकात की। तब जैन समाज के लोगों ने अटल से मांस निर्यात पर रोक लगाने की मांग भी की थी। प्रधानमंत्री के साथ जैन संत का यह फोटो भाजपा ने जैन समाज के सभी लोगों तक पहुंचाया। घर और दुकानों पर भी यह फोटो लगाया गया। जोशी की रणनीति का इस तरह से तोड़ निकाला गया। जब नतीजे आए तो भाजपा 1.31 लाख (1989 के बाद पहली बार सबसे ज्यादा) वोटों से चुनाव भी जीती।
एयरपोर्ट से सीधे ले गए थे प्रधानमंत्री वाजपेयी को
वाजपेयी के इंदौर आने के कार्यक्रम में पहले गोम्मटगिरि जाने की कोई योजना नहीं थी। आखिरी मौके पर गोम्मटगिरि का कार्यक्रम यह कहकर जुड़वाया गया कि प्रसिद्ध जैन संत शहर में आए हैं, उनसे मुलाकात करना चाहिए। वाजपेयी संत का नाम सुनकर तुरंत राजी हो गए। वे बोले- पहले संत दर्शन, फिर होगी सभा। करीब 10 मिनट तक वाजपेयी आचार्यश्री के पास रुके और चर्चा की। इसका अच्छा संदेश शहर में गया। - सत्यनारायण सत्तन, वरिष्ठ भाजपा नेता
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