चंडीगढ़/टोरंटो. कनाडा सरकार द्वारा आतंकवाद पर अपनी 2018 की रिपोर्ट में से सिख कट्टरपंथ के संदर्भ को हटाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विरोध जताया। इससे पहले सरकार ने देश के लिए शीर्ष 5 आतंकी खतरों में से एक के तौर पर सिख कट्टरपंथ का उल्लेख किया था। अमरिंदर का कहना है कि सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसा कर रही है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो आग से खेल रहे हैं।
टोरंटो के सीबीसी न्यूज ने समाचार एजेंसी द कनाडियन प्रेस के हवाले से खबर दी कि ‘2018 रिपोर्ट ऑन टेररिज्म थ्रेट टू कनाडा’ का ताजा संस्करण शुक्रवार को जारी किया गया। अमरिंदर ने ट्रूडो प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि घरेलू राजनीति के दबाव में यह फैसला किया गया। यह लिबरल पार्टी का एक ढीला फैसला है जिसका मकसद चुनावी साल में हित साधना है। भारत और कनाडा के रिश्ते इस फैसले की वजह से खराब होंगे।
अमरिंदर ने कहा- दुनिया किसी भी तरह के कट्टरवाद को बर्दाश्त नहीं कर सकती। हमने कनाडा को सबूत भी दिए थे कि किस तरह से उनकी धरती का इस्तेमाल खालिस्तानी सोच को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। सिंह ने उन 9 कट्टरपंथियों की सूची भी ट्रूडो को दी थी जो कनाडा में रहते हुए पंजाब में अतिवाद को बढ़ावा देते हैं।
कनाडा सरकार की इस रिपोर्ट में धर्म के किसी उल्लेख को हटाने के लिए भाषा में बदलाव किया गया है और उन कट्टरपंथियों से खतरे पर चर्चा की गई है जो हिंसक तरीकों से भारत के अंदर एक स्वतंत्र राज्य बनाना चाहते हैं। सीबीसी न्यूज के मुताबिक- आतंकवाद पर 2018 की रिपोर्ट को पिछले साल दिसंबर में जारी किया गया था। उस वक्त सिख समुदाय ने इसका खासा विरोध किया था। क्योंकि रिपोर्ट में पहली बार सिख कट्टरपंथ को कनाडा के सबसे बड़े खतरे में से एक बताया गया था।
जनसुरक्षा मंत्री राल्फ गूडले ने कहा था कि वह रिपोर्ट में इस्तेमाल हुई भाषा की समीक्षा कराएंगे। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने शनिवार को सिख समुदाय की तारीफ की थी। वह बैसाखी के मौके पर एक गुरुद्वारे भी गए थे।
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