नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को अगर बहुमत नहीं मिलता तो सरकार बनाने में क्षेत्रीय दल अहम भूमिका निभा सकते हैं। किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में ये पार्टियां किंगमेकर की भूमिका में होंगी। त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना में के.चंद्रशेखर राव, ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजद और सपा-बसपा गठबंधन अहम भूमिका में होगा। इन दलों ने एनडीए और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए से दूरी बना रखी है।
भाजपा-कांग्रेस के खिलाफ क्षेत्रीय दलों के तेवर सख्त
प बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल और चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा भी केंद्र में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। ममता और नायडू लगातार भाजपा के खिलाफ नया मोर्चा तैयार करने में जुटे हुए हैं, इसके लिए वे कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को भी तैयार हैं।
हालांकि, ममता बनर्जी भाजपा और कांग्रेस पर लगातार निशाना साध रही हैं। वहीं, उप्र में सपा-बसपा गठबंधन भाजपा की जमकर आलोचना कर रहा है, तो उसने कांग्रेस के खिलाफ भी हमले जारी रखे हैं।
543 में 180 सीटों पर क्षेत्रीय दलों का प्रभाव
543 लोकसभा सीटों में 180 पर क्षेत्रीय दलों का प्रभाव है। इस लोकसभा चुनाव में ये पार्टियां कितनी सीटें जीतेंगी, इससे ही इनकी भूमिका तय होगी।
राज्य | कुल सीटें | मुख्य क्षेत्रीय दल |
उत्तर प्रदेश | 80 | सपा-बसपा |
बंगाल | 42 | तृणमूल |
आंध्र | 25 | तेदेपा, वाईएसआर कांग्रेस |
ओडिशा | 21 | बीजद |
तेलंगाना | 17 | टीआरएस, तेदेपा |
जगन मोहन रेड्डी ने कहा था कि इस बार त्रिशंकु संसद की उम्मीद है। इससे उन्हें राज्य के लिए बेहतर डील मिलेगी। अभिनेता और मक्कल निधि मय्यम के नेता कमल हसन ने भी कहा था, इस बार त्रिशंकु संसद होगी। इस बार थर्ड फ्रंट की सरकार बनने की भी उम्मीद है।
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तीसरे फ्रंट की कोशिश में चंद्रशेखर राव
लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने बिना भाजपा और कांग्रेस के नया फ्रंट बनाने की कोशिश भी की थी। इसे चुनाव के बाद और हवा मिल सकती है। माना जा रहा है कि त्रिशंकु संसद की स्थिति में एनडीए और यूपीए के कुछ सहयोगी दल भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
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