प्रलय श्रीवास्तव
मध्यप्रदेश में पिछले 7 लोकसभा चुनाव में निरस्त हुए वोट का आंकड़ा भी रोचक भरा है। वर्ष 1996 में सबसे अधिक 3.46 प्रतिशत वोट निरस्त हुए थे। जबकि इसके पहले 1991 के लोकसभा चुनाव में 2.07 प्रतिशत वोटों को विभिन्न कारणों से निरस्त किया गया था। वहीं 1998 के निर्वाचन में निरस्त वोटों का प्रतिशत 2.20 रहा। इसी तरह 1999 के चुनाव में 1.49 प्रतिशत वोट अवैध होने पर निरस्त किये गये थे। यह वह दौर था जब मतपत्र से मतदान होता था।
साल 2003 से ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का इस्तेमाल होने के बाद निरस्त होने वाले मतों के प्रतिशत में काफी गिरावट आई है। ईवीएम से जहाँ मतदान निष्पक्ष और शीघ्र होने लगा, वही मतगणना भी चंद घंटों में ही पूरी हो जाती है।
निर्वाचन प्रक्रिया में ईवीएम को शामिल करने के बाद पहली बार 2004 के लोकसभा चुनाव में इसका उपयोग हुआ, तब निरस्त हुए मतों का प्रतिशत 0.01 रहा जो पूर्व की अपेक्षा काफी कम था। इसी तरह 2009 और 2014 में भी निरस्त मतों का इतना ही 0.01 प्रतिशत रहा।
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