Sunday, 8th June 2025

जलियांवाला / राहुल गांधी ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी, ब्रिटिश उच्चायुक्त ने कहा- यह शर्मनाक अध्याय था

Sat, Apr 13, 2019 7:16 PM

 

  • 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड डायर ने जलियांवाला बाग में शांति सभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवाई थीं
  • हाल ही में ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस हत्याकांड को अपने इतिहास पर काला धब्बा करार दिया था

अमृतसर. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को यहां जलियांवाला हत्याकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी मौजूद रहे। भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त सर डोमिनिक एस्क्विथ ने भी श्रद्धांजलि दी। 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनाल्ड डायर ने जलियांवाला बाग में शांति सभा कर रहे लोगों पर गोलियां चलवाई थीं। 

एस्क्विथ ने विजिटर्स बुक में लिखा, "जलियांवाला बाग में 100 साल पहले हुई घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास का शर्मनाक अध्याय है। जो हुआ, उसके लिए हमें खेद है। मैं यही कहना चाहता हूं कि 21वीं सदी में भारत और ब्रिटेन विकास के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करेंगे।" उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी शहीदों को श्रद्धांजलि देने अमृतसर जाएंगे।

जलियांवाला नरसंहार ब्रिटेन पर धब्बा: थेरेसा
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी जलियांवाला बाग नरसंहार पर खेद जताया था। थेरेसा ने बुधवार को संसद में कहा कि उन्हें इस घटना और इससे पैदा हुए कष्टों पर गहरा दुख है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने एक भी बार माफी नहीं मांगी। इस पर संसद में विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने थेरेसा से साफ, स्पष्ट और विस्तृत माफी मांगने के लिए कहा था। 

2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी 2013 में भारत दौरे पर इसे इतिहास की बेहद शर्मनाक घटना बताया था। हालांकि, उन्होंने भी माफी नहीं मांगी थी।  

पंजाब विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर की थी माफी की मांग
इस साल फरवरी में इस नरसंहार की जिम्मेदार ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाने के लिए पंजाब सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव के जरिए केंद्र सरकार से कहा गया था कि वह ब्रिटिश सरकार पर माफी मांगने का दबाव बनाए। 

मारे गए थे एक हजार से ज्यादा लोग
अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियांवाला बाग में ब्रिटिश सैनिकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर गोलियां चला दी थीं। रिकॉर्ड्स के मुताबिक, इस नरसंहार में 400 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। हालांकि भारतीय अधिकारियों का दावा है कि इसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे। मरने वालों में औरतें और बच्चे भी शामिल थे।

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